संक्षिप्त परिचय : हमारे लिए पेड़ पौधे क्या हैं? अगर वो अपनी भावनाएँ व्यक्त कर पाते तो हमसे क्या कहते? जानने के लिए पढ़िए पेड़ पौधों पर यह कविता ।
आज मैंने फिर एक पौधा लगाया,
पर मुझे आज एक अलग ही मजा आया,
पत्तों ने किया जैसे हिल कर अभिनन्दन,
याद दिला रहें हों, जो है हमारा अटूट बंधन।।
कुछ दिन तो, पौधा जैसे कहे , रखो मेरा ख्याल,
फिर सारी उम्र रखूंगा, मैं तुम्हें संभाल,
दूंगा मै तुम्हें आक्सीजन भरपूर,
मेरी छाया भी फैलेगी दूर-दूर।।
नमी बचा कर रखूंगा,
तापमान भी होगा कम,
फल, फूल,लकड़ी सब ले लेना,
नहीं निकलेगा मेरा दम।।
जो देने को तत्पर है, सब कुछ अपना,
उस पौधे को देख मेरे मन ने किया एक सवाल,
ये कैसी नासमझी इंसान की,
उसको ही ना रख पाया संभाल।।
सुनीता बहल
रोहतक (हरियाणा)
कैसी लगी आपको पेड़ पौधों पर कविता ‘पौधा भी कुछ कहता है’ ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवयित्री को भी प्रोत्साहित करें।
कविता की लेखिका सुनीता बहल जी के बारे में जानने के लिए यहाँ पढ़े ।
पढ़िए प्रकृति पर ऐसी ही और कविताएँ :-
- एक भावांजलि ….. पत्थर को: एक पत्थर के जन्म से ले कर पत्थर की अनेकों विशेषताओं का वर्णन करती ये पत्थर पर कविता, पत्थर को सही मायने में भावांजलि है।
- स्वर्ण-प्रकाश: प्रकृति पर उत्कृष्ट कविता ।
- प्रकृति को पूजो | प्रकृति कविता : कवयित्री उषा रानी की यह कविता प्रकृति पर है। इस कविता में कवयित्री प्रकृति के गुणगान करती हैं तथा उस का सम्मान करने की सीख देती हैं।
अगर आप भी कहानियाँ या कविताएँ लिखते हैं और बतौर लेखक आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमसे ज़रूर सम्पर्क करें storiesdilse@gmail.com पर। आप हमें अपनी रचनाएँ यहाँ भी भेज सकते हैं: https://storiesdilse.in/submit-your-stories-poems/
Photo by Kasturi Laxmi Mohit
5,490 total views