स्वार्थी संसार | हिन्दी में कविता

रामप्रवेश पंडित जी की रचना | written by Rampravesh Pandit

स्वार्थी संसार | हिन्दी में कविता | रामप्रवेश पंडित जी की रचना | written by Rampravesh Pandit

संक्षिप्त परिचय: इस कविता में कवि बता रहे हैं कि कैसे दुनिया में सभी स्वार्थी हैं और सब के हित के लिए यह संसार क्या कर सकता है। पढ़िए यह हिन्दी में कविता।

मेरा मेरा जपता रहता ,
स्वार्थहेतु सब कुछ सहता,
अपने हित में करें अहित,
निजता से सजा बाजार है।
स्वार्थमय यह संसार है ।।

स्वार्थी नर होता जन्मजात,
स्वार्थ हित बिछाता बिसात,
कैसे करूं जगत मुट्ठी में,
करता वह निशदिन विचार है ।
स्वार्थमय यह संसार है ।।

यदि चाहते हो स्वार्थ साधना,
निज स्वत्वकी कर आराधना,
आत्मबल से ही स्वार्थपूर्ति,
पुरुषार्थ परम आधार है।
स्वार्थमय यह संसार है ।।

छोड़ो दूसरों की परवाह,
बना लो अपने आप राह,
मंजिल जितनी ऊंची होगी,
बढ़ता स्वार्थ अधिकार है।
स्वार्थमय यह संसार है।।

अपना लो बंधु प्रबल स्वार्थ,
स्वतः पूर्ण होगा परमार्थ,
बना लो निज को बरगद वृक्ष,
तुम्हारा स्वार्थ भी छायादार है।
स्वार्थमय यह संसार है।।

– रामप्रवेश पंडित मेदिनीनगर झारखंड


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इस कविता के लेखक रामप्रवेश पंडित जी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।


पढ़िए राम प्रवेश पंडित जी की और कविताएँ:

  • विषय स्वदेशी: स्वदेशी पर यह कविता स्वदेशी समान अपनाने की प्रेरणा देती है। साथ ही स्वदेशी अपनाने के महत्व को समझाती है।
  • भाईचारा: यह कविता आपस में भाईचारे की भावना का महत्व समझाती है।
  • रक्षाबंधन (राखी): यह कविता रक्षा बंधन के त्योहार का सुंदरता से वर्णन करती है।

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  • लॉकडाउन आदमी: योगेश नारायण दीक्षित जी यह कविता लॉकडाउन में भारत के एक आम आदमी की हालत को बयाँ करती है ।
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PC: David Tovar

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