उम्मेद सिंह सोलंकी “आदित्य” | Ummed Singh Solanki “Aditya”

उम्मेद सिंह सोलंकी "आदित्य" | Ummed Singh Solanki "Aditya"

उम्मेद सिंह सोलंकी ‘आदित्य’, जन्म 1995 में भारत के राज्य राजस्थान जिले के जोधपुर शहर में हुआ। मैं अपने चार भाई-बहनों मे सबसे छोटा हूं।
कवितायें और लेखन कला की शुरूआत सन् 2008 में शुरू कर दी थी। करीब-करीब मुझे इस कार्य में सफलता 12 साल के बाद मिली।

बी. ए की शिक्षा गुरूकुल इंस्टीट्यूट ऑफ़ कॉलेज (JNVU) से की।

आज से करीबन 300 से ज्यादा कविताऐं और 50 से ज्यादा गज़ले और 200 से ज्यादा शायरी लिखी हैं, कहानीयों मे भी बहुत रूची रही है। दैनिक भास्कर व समय चक्र टाइम्स मे मेरी रचनाऐंं प्रकाशित हो चुकी हैं।

मुझे इस कार्य में लाने के लिऐ गुरू दिलीप केसानी और मेरे स्कूल के टीचर जगदीश कड़ेला जी का बहुत हाथ रहा है।
इसी के साथ जोधपुर की आवाज रेडियों वॉइस जोधपुर सनसिटी FM हांजी जफ़र खां सिंधी साहब ने ‘स्नेह मिलन’ मे कविता “जफ़र” के लिऐ अतुलनीय, आदर व प्रेम दिया।

श्री जागृति संस्थान के विशेष अतिथि ऐडवोकेट श्री गोपाल व्यास जी (फलौदी रत्न)  ने तारीख 23 दिसम्बर 2017 को मुझे ‘कोहिनूर’ कविता के लिऐ अवॉर्ड देकर सम्मानित kiya।

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पढ़िए उनकी कविताएँ:

  • प्यारे जीजाजी: जैसा की कविता के नाम से प्रत्यक्ष है, उम्मेद सिंह सोलंकी “आदित्य” जी की यह कविता उनके प्यारे जीजाजी के लिए है।
  • कोहिनूर: बचपन हमारे सम्पूर्ण जीवन का आधार बनता है। बचपन की कई सारी बातें हम अपने साथ हमेशा रखते हैं। और ऐसे ही होते हैं बचपन के दोस्त। बस कुछ ऐसा ही कह रहे हैं उम्मेद सिंह सोलंकी “आदित्य” अपनी हिंदी कविता “कोहिनूर” में ।
  • खामोश घड़ी: घड़ी – कई प्रकार में आती हैं – छोटी भी और बड़ी भी। पर घड़ी जो बताती है वो सब में बड़ा है। ऐसे ही घड़ी की अहमियत समझाती हुई ‘उम्मेद सिंह सोलंकी “आदित्य”‘ की यह कविता ‘खामोश घड़ी’।

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