आजकल का शौक | कविता हिन्दी में

शंकर देव तिवारी जी की रचना । Shankar Dev Tiwari ji ki Rachna

आजकल का शौक | शंकर देव तिवारी जी की कविता | कविता हिन्दी में

संक्षिप्त परिचय : क्या है आजकल का शौक़? क्यों कोई ऐसा है जिससे पूछ पाना की वो कैसे हैं मुश्किल है? पढ़िए शंकर देव तिवारी जी की हिन्दी में कविता “आजकल का शौक़”।

शब्द मंथन 1
यतार्थ

हार करके जीत जाना
गैर मतलब बात करना
आजकल का शौक है
बिन मुहब्बत इश्क करना

अपनी ढपली अपना राग
घूम घाम के बन जाओ खास
आस पास के रोग निदान
एरा गैरा नत्थू खास

दुःखी बहुत हूँ खोकर भ्रात
अब नहीं रही किसी से आश
राम राम करना अब भारी
करुं प्रार्थना किससे आश

चला गया वो बिन पूछे ही
अपनी पीड़ा बिन बतलाए
खाता पीता बहुत दवाएं
कैसे क्या किससे बतलाएं

सपना देखा जीवन का है
वह आदत नहीं भुला सका
औरों के संग घूम रहा है
बंधुआ किसी का हो न सका

तुम अब दूर हो
पास इतने और हो
हर किसी का बस नहीं
पूछ पाए कैसे हो

शंकर देव तिवारी


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