दादी तुम चुप क्यों हो? | दादी माँ पर कविता

उषा रानी की कविता | A Hindi Poem by Usha Rani

दादी तुम चुप क्यों हो ? | उषा रानी की कविता | दादी माँ पर कविता

संक्षिप्त परिचय: कवयित्री उषा रानी की यह कविता बूढ़ी दादी माँ के लिए कई सवाल लिए है। पढ़ के ज़रूर बताइएगा कि क्या आपके दिल में भी ऐसे ही सवाल आते हैं ?

झुर्रियोंदार चेहरा तुम्हारा
चांदी जैसे बाल तुम्हारे
जिंदगी के अनुभवों को ओढ़े
दूर शून्य में तकती नजर से
क्या देख रही हो अम्मा
क्या सोच रही हो
बीते समय को याद कर रही हो
या बदलती दुनिया के रंगों को
अचरज🎁 से देख रही हो
ठोड़ी हथेली पर टिकाए
किसे ढ़ूंढ़ रही है तुम्हारी नज़र
या गली में खेलते बच्चों की
अठखेलियों को देख रही हो
या सुन रही हो नन्हें मुन्नों की
किलकारियां
फिर क्यों उदास हो,
चिंता मग्न हो
मन में क्या अवसाद भरा है❓
अकेलेपन की दुख पीड़ा के
पहाड़ खड़े हैं तुम्हारे मन में
कुछ तो बोलो दादी अम्मा
तुम चुप चुप क्यों बैठी ho
सूनी सूनी आंखों से
क्या देख रही हो
क्या ढ़ूंढ़ रही हो

स्वरचित कविता चित्र पर रचना
उषा रानी पुंगलिया जोधपुर राजस्थान


कैसी लगी आपको दादी माँ पर यह कविता ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवयित्री को भी प्रोत्साहित करें।


कविता की लेखिका उषा रानी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ 


पढ़िए उनकी और कविताएँ:

  • आइसोलेशन – एकांत में अकेला रहना: आज कोरोना की वजह से इंसान का एकांत में रहना मजबूरी हो गया है। इसी पहलू को उजागर करती है उषा रानी की यह कविता ‘एकांत में अकेला रहना’।
  • पुरुष का मौन: जहाँ आज सब स्त्री पर हो रहे अत्याचारों को ध्यान में रखते हुए उन पर कविताएँ लिख रहे हैं, जो कि समय की माँग भी है वहीं एक ऐसी कविता की भी ज़रूरत है जो पुरुष के समाज में योगदान पर भी प्रकाश डाले। ऐसी ही एक कविता है ‘पुरुष का मौन’ जिसे लिखा है उषा रानी ने।

अगर आप भी कहानियाँ या कविताएँ लिखते हैं और बतौर लेखक आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमसे ज़रूर सम्पर्क करें storiesdilse@gmail.com पर। आप हमें अपनी रचनाएँ यहाँ भी भेज सकते हैं: https://storiesdilse.in/guidelines-for-submission/


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