सावन-ए-एहसास | सावन पर कविता

आरती वत्स की रचना | Written by Aarti Vats

सावन-ए-एहसास | आरती वत्स की कविता | सावन पर कविता

संक्षिप्त परिचय: सावन के मौसम को प्रेम से जोड़ा जाता रहा है। यह कविता भी सावन को प्रेम से जोड़ते हुए प्रेमी के लिए एक संदेश लिए है।

वक्त माँगू तो दे दिया करो,
साथ चलने को कहूँ
तो बिना पूछे ही
मेरे कदमों से कदम मिला लिया करो ।

मौतों का सिलसिला चल रहा है,
बेवजह भी बिना बताए
मेरे शहर में
कभी-कभार दस्तक दे जाया करो ।
यूँ ही सवालों की महफ़िलों में
कभी-कभी
मेरा जवाब बनकर आ जाया करो ।।

अच्छा सुनो ना!
इस सावन की
मोहब्बत-भरी बरख़ा के मौसम में,
मुझसे मिलने तुम
कभी-कभी आ जाया करो ।

क्यूँकि जनाब!
कभी-कभी
न वक्त मुकम्मल होता है,
और ना ही इंसान उम्रभर ठहरता है ।
बस यादों का मंज़र होता है
और तन्हाई का बसेरा होता है ।
आँसुओं का साथ होता है
और ये सारा जहां भी तो
एक ना एक याम हमारे खिलाफ होता है ।।

इसलिये कहती हूँ,
कभी-कभी
यूं ही मेरे शहर में आ जाया करो ।
मिलने न सही,
अपनी दस्तक से ही
इस बंजर हुए जहां को
प्रीत की बरख़ा से
सावन के मौसम में
रिमझिम-सा रोशन कर जाया करो ।।

-आरती वत्स
(मिस हरियाणा)


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