रक्षाबंधन का त्यौहार | हिंदी कविता

अंकुर यादव की रचना

रक्षाबंधन का त्यौहार | अंकुर यादव की कविता

संक्षिप्त परिचय: भारत में भाई बहन के रिश्ते की मान बढ़ाता एक त्यौहार है – वह है रक्षा बंधन का त्यौहार। इसी रिश्ते के महत्व को समझाती है रक्षाबंधन पर यह कविता ।

आया आया देखो रक्षाबंधन का त्यौहार , ये है पावन स्नेह का वार…..
बहना की नन्ही सी राखी में जीवन भर ,बंधने को भईया है तैयार…
आया-आया देखो रक्षाबंधन का त्यौहार
ये राखी की डोर न है रेशम, न है जूट, न ही है कपास की,
ये है प्रतिज्ञा भईया की, रक्षा करने को बहन के विश्वास की,
इस राखी के मायने भैया -बहन के जीवन में है कई हजार…..
आया-आया देखो रक्षाबंधन का त्यौहार
ना खुशी होती ,ना हंसी होती ,ना ही कोई राखी कलाई में बंधी होती,
अगर तुम जैसी बहन ,दीदी मुझे आज ना मिली होती,
अरे तुम ही तो हो जो लाई मेरे जीवन में खुशियों की बौछार…..
आया-आया देखो रक्षाबंधन का त्यौहार
मैं इतना बड़ा होकर भी, हरदम ,डरता सकुचाता आया,
जीवन के हर मोड़ पर , बस आपने ही ,मेरा हौसला बढ़ाया,
तेरी दुआ से मैं कुछ भी क्यों ना बन जाऊं ,कम ना रहे हमारा प्यार….
आया-आया देखो रक्षाबंधन का त्यौहार
मैं कर दुआ कान्हा से मांगू हर उस खुशी को जो सदा रहे तेरे होठों पर
अभी कीपैड से काम चलाओ फिर चैट होगी आई फोन पर
गिफ्ट दूंगा मैं इसे अगले रक्षाबंधन को, बस 1 साल का है इंतजार …..
आया-आया देखो रक्षाबंधन का त्यौहार


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इस हिंदी कविता ‘विदाई’ के लेखक ‘अंकुर यादव’ जी के बारे में जानने के लिए यहाँ पढ़े: अंकुर यादव


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