बेटियाँ | कविता हिंदी में

रानी कुशवाह की कविता | A Hindi Poem by Rani Kushwah

बेटियाँ | कविता हिंदी में | रानी कुशवाह की कविता | A Hindi Poem by Rani Kushwah

संक्षिप्त परिचय: रानी कुशवाह की यह कविता ‘बेटियाँ’, बेटियों पर है। अपनी कविता के माध्यम से वे बेटियों का महत्व तो समझा ही रही हैं साथ ही रूढ़ीवादी सोच की वजह से उन की हो रही स्थिति पर भी प्रकाश डाल रही हैं।

हर जगह हर मोड़ पर , एक नई शुरुआत है ।
बेटियाँ जो कल को थी , हाँ वही दिन आज है ।

देखा मैंने पल पल अँखियाँ ।
भेजती हैं चिट्ठियाँ ।
क्या करोगे तुम अगर कल को ना होंगी बेटियाँ।

हर जगह हर मोड़ पर तन्हा ही होती बेटियाँ ।
इन कुरीतियों के चलते पल-पल हैं रोती बेटियाँ ।
क्या करोगे तुम अगर कल को ना होंगी बेटियाँ।

हर बुराई से यह लड़ती तन्हा ही क्यूँ बेटियाँ ।
सूना घर आँगन लगेगा , जब ना होंगी बेटियाँ ।
क्या करोगे तुम अगर कल को ना होंगी बेटियाँ।

हर गली बेचैन होगी ,
सुनने को किलकारियाँ ।
क्या करोगे तुम अगर कल को ना होंगी बेटियाँ।

यह जमी बंजर सी होगी । खाली होंगी पेटियाँ ।
हर्ष का कालम ना होगा । जन ना होंगी बेटियाँ ।

क्या करोगे तुम अगर कलको ना होंगी बेटियाँ।


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कविता की लेखिका रानी कुशवाह के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ 


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  • बेटी: अनिल पटेल जी की यह कविता बेटी पर है। जो घर का महत्वपूर्ण अंश हो कर भी एक कुप्रथा से आज भी जूझती है।
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PC: Loren Joseph 

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