स्त्री | कविता हिंदी में

प्रिया चतुर्वेदी की कविता | A short hindi poem by Priya Chaturvedi

स्त्री | कविता हिंदी में | प्रिया चतुर्वेदी की कविता | A short hindi poem by Priya Chaturvedi

संक्षिप्त परिचय: कवयित्री प्रिया चतुर्वेदी जी की यह कविता स्त्री पर है। कैसा है आज भी एक स्त्री का जीवन, क्या विशेषताएँ हैं उसकी, पढ़िए इस कविता में।

आँसुओं का पी समंदर
पीड़ा लिए है घोर अंदर,
फिर भी मुस्काती है ,
एक स्त्री कितनी सादगी से हर गम छुपाती है …….

इस संसार में कोई समझ ना पाया है,
ऋषि मुनियों तपेश्वरीयों ने तप कराया है,
इस संपूर्ण सृष्टि की सृजन-करता है,
जो उसे जग ने महज़ भोग की वस्तु बनाया है

लिए अस्तित्व की पहचान,
बनाए रखने अपना मान,
सब कुर्बान जाती है,
एक स्त्री कितनी सादगी से हर गम छुपाती है ……..

कभी अपनों कभी गैरों के लिए बलि चढ़ी है,
स्त्री सदा ही अस्तित्व के खातिर लड़ी है,
अधिकार में स्थान किंचित मात्र है उसका,
किंतु त्याग, समर्पण में सदा आगे खड़ी है

वही दुर्गा वही काली,
नम्र उदार हृदय वाली,
क्षमादात्री है हर दुख भूल जाती है,
एक स्त्री कितनी सादगी से हर गम छुपाती ………..

सोच रही है आज वह अपने अंतर्मन में,
क्या पाया है आकर उसने इस जीवन में,
कौन भला समझा है उसकी पीड़ा को ,
उसके मन की व्यथा रही निज मन में

व्याकुल हृदय से रोती है,
पीड़ा उसको भी होती है,
फिर भी मुस्कुराती है,
एक स्त्री कितनी सादगी से हर गम छुपाती है।।


कैसी लगी आपको यह कविता ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवयित्री को भी प्रोत्साहित करें।
कविता की लेखिका प्रिया चतुर्वेदी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ 


पढ़िए कवयित्री प्रिया चतुर्वेदी की एक और कविता:

हाँ मैं एक पत्रकार हूँ:  यह एक पत्रकार पर कविता है जो लोकतंत्र के चतुर्थ स्तंभ को समर्पित है जो दिन रात कड़ी मेहनत और लगन शीलता से हम सब लोगों तक न केवल खबरें पहुंचाते हैं बल्कि समाज को सच्चाई से भी रूबरू कराते हैं।


पढ़िए स्त्री पर ही और कविताएँ:

  • हाँ मैं बदल गई हूँ: आज के समाज में जहां एक तरफ़ स्त्री को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी जाती है वहीं समाज का एक हिस्सा उसे वांछित सम्मान दे पाने में भी असक्षम है। यह कविता एक स्त्री के हृदय की आवाज़ है उसी समाज के लिए।
  • बेटियाँ: रानी कुशवाह की यह कविता ‘बेटियाँ’, बेटियों पर है। अपनी कविता के माध्यम से वे बेटियों का महत्व तो समझा ही रही हैं साथ ही रूढ़ीवादी सोच की वजह से उन की हो रही स्थिति पर भी प्रकाश डाल रही हैं।
  • नारी:  सुंदरी अहिरवार की यह कविता नारी पर है। यह कविता नारी के विशेष गुणों पर प्रकाश डालती है।
  • बेटी: अनिल पटेल जी की यह कविता बेटी पर है। जो घर का महत्वपूर्ण अंश हो कर भी एक कुप्रथा से आज भी जूझती है।
  • देवी शक्ति : यह कविता देवी शक्ति और आज की नारी शक्ति के अनेक रूपों का बहुत ही सुंदरता से वर्णन करती है। साथ ही आज के समाज को एक आईना भी दिखाती है।
  • शिव शक्ति : कवियत्री आरती वत्स की यह कविता देवी शक्ति के बारे में है। इस कविता में वे देवी शक्ति के विभिन्न गुणों और विशेषताओं का सुंदरता से वर्णन करती है।
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PC: Molly Belle 

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