हरे रंग का तोताराम | बाल कविता

उषा रानी की कविता | A Hindi Poem by Usha Rani

हरे रंग का तोताराम | उषा रानी की यह कविता | बाल कविता

संक्षिप्त परिचय : कवयित्री उषा रानी की यह कविता एक प्यारी सी बाल कविता है एक तोते पर, जो एक प्यारी सी सीख भी देती है।

हरे रंग का तोताराम,
करता सबको राम राम ।
पेड़ पर लटका पिंजरा,
उसमें रहता तोताराम,
दिनभर जपता राम राम,
मेहमानों का स्वागत है ।
सब के हाल चाल पूछता,
नाम लेकर बतियाता है ।
राम राम बुलाता तोताराम ।।

हरे रंग का तोताराम,
दिनभर जपता है राम राम ।
लाल चोंच वाला न्यारा,
हरी मिर्च खाने वाला,
पक्षियों में सबसे सुंदर,
मीठी वाणी में बोलता ।।

हरे रंग का तोताराम,
दिनभर जपता राम राम ।
बच्चों के संग मस्ती करता,
सबसे अपनी पहचान रखता,
सबके मन को हर्षाता वह,
सबको लगता है प्यारा ।।

हरे रंग का तोताराम,
दिनभर जपता राम राम ।
बच्चों के संग हंसता,
बड़ों के संग ज्ञान चर्चा,
हर मौसम में खुश रहता ।
हमको भी ये सीखाता,
हम भी हर हाल में खुश रहे,
मीठी वाणी में बतियाये,
राम राम का तोताराम,
दिनभर जपता राम राम,
हरे रंग का तोताराम,
सबको करता राम राम ।।

स्वरचित कविता
उषा रानी पुंगलिया जोधपुर राजस्थान


कैसी लगी आपको तोतराम पर यह बाल कविता ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवयित्री को भी प्रोत्साहित करें।


इस बाल कविता की लेखिका उषा रानी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ 


पढ़िए ऐसी और बाल कविताएँ:


पढ़िए उनकी अन्य कविताएँ:

  • जवान तुझे सलाम | गणतंत्र दिवस पर कविता: गणतंत्र दिवस पर लिखी गयी यह कविता भारत के उन वीर जवानों को सलाम करती है जिन्होंने देश के लिए अपने जान देने से पहले एक बार नहीं सोचा ।
  • प्रकृति हमारी माता है: है तो मनुष्य भी प्रकृति का अंश ही, पर आज कुछ ऐसी स्थिति हो गयी है कि वही मनुष्य प्रकृति का दुश्मन लगता है। ऐसे में ज़रूरी है कि सब समझें प्रकृति का महत्व। यही पहलू उठाती है कवयित्रि उषा रानी की प्रकृति पर यह कविता ।
  • चाय हमारा मान है: भारत में लगभग हर घर में चाय एक अनन्य हिस्सा होती है। पर ऐसा क्यूँ होता है? जानने के लिए पढ़िए चाय पर यह कविता ।
  • दादी तुम चुप क्यों हो?: कवयित्री उषा रानी की यह कविता बूढ़ी दादी माँ के लिए कई सवाल लिए है। पढ़ के ज़रूर बताइएगा कि क्या आपके दिल में भी ऐसे ही सवाल आते हैं ?
  • आइसोलेशन – एकांत में अकेला रहना: आज कोरोना की वजह से इंसान का एकांत में रहना मजबूरी हो गया है। इसी पहलू को उजागर करती है उषा रानी की यह कविता ‘एकांत में अकेला रहना’।
  • पुरुष का मौन: जहाँ आज सब स्त्री पर हो रहे अत्याचारों को ध्यान में रखते हुए उन पर कविताएँ लिख रहे हैं, जो कि समय की माँग भी है वहीं एक ऐसी कविता की भी ज़रूरत है जो पुरुष के समाज में योगदान पर भी प्रकाश डाले। ऐसी ही एक कविता है ‘पुरुष का मौन’ जिसे लिखा है उषा रानी ने।

पढ़िए ऐसी ही एक कहानी :-

एक सुंदर और भावपूर्ण कहानी मोर के प्रेम, भावनाओं और परवाह पर – नीलकंठ-मोर ,लेखक – महादेवी वर्मा


पढ़िए प्रकृति पर अन्य कविताएँ :-

  • हमारे घर का आँगन: यह सौरभ रत्नावत जी की पहली कविता है। इस कविता में वे अपने घर की ख़ूबसूरती को बयाँ कर रहे हैं। साथ ही उनके परिवार और प्रकृति के बीच कैसे तालमेल बैठा हुआ है यह भी समझा रहे हैं।
  • एक भावांजलि ….. पत्थर को: एक पत्थर के जन्म से ले कर पत्थर की अनेकों विशेषताओं का वर्णन करती ये पत्थर पर कविता, पत्थर को सही मायने में भावांजलि है।
  • स्वर्ण-प्रकाश: प्रकृति पर उत्कृष्ट कविता ।

अगर आप भी कहानियाँ या कविताएँ लिखते हैं और बतौर लेखक आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमसे ज़रूर सम्पर्क करें storiesdilse@gmail.com पर। आप हमें अपनी रचनाएँ यहाँ भी भेज सकते हैं: https://storiesdilse.in/submit-your-stories-poems/


Photo by Sreenivas

 1,198 total views

Share on:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *