मेरी बेटी | बेटी पर कविता

कवयित्री प्रमिला 'किरण' की रचना | A Hindi Poem by Poetess Pramila 'Kiran'

मेरी बेटी | बेटी पर कविता |कवयित्री प्रमिला 'किरण' की रचना | A Hindi Poem by Poetess Pramila 'Kiran'

संक्षिप्त परिचय: बेटी दिवस पर प्रकाशित प्रमिला ‘किरण’ की यह कविता एक माँ की दृष्टि से बेटी के लिए प्रेम और ममता पूर्ण भावनाओं का खूबसूरत चित्रण है।


कभी लड़ती झगड़ती है,
कभी डरती मेरी बेटी।
कभी खुद आंख दिखलाए,
के जैसे मां मेरी बेटी।
तेरे रूप में दुनिया की,
मैंने हर खुशी पा ली।
महकता है मेरा जीवन,
के संदल है मेरी बेटी।
जब वह मुस्कुराती है,
बहारें झूम उठती हैं।
जब वह खोले मुंह अपना,
तो कोयल कूक उठती है।
मेरी हर चुप को वो यूं
झट से ऐसे पकड़ लेती है।
पकड़कर नब्ज ढूंढे मर्ज़
मेरी संबल मेरी बेटी।


कैसी लगी आपको बेटी दिवस पर यह विशेष कविता ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवयित्री को भी प्रोत्साहित करें।
कवयित्री प्रमिला ‘किरण’ के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।

बेटी दिवस पर अन्य विशेष रचनाएँ पढ़ें यहाँ:

  • हमारी बेटियाँ: बेटी दिवस पर यह कविता, बड़े ही सरल शब्दों में हमारे जीवन में बेटियों के महत्व को उजागर करती है।

अगर आप भी कहानियाँ या कविताएँ लिखते हैं और उन्हें storiesdilse.in पर प्रकाशित करना चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क करें storiesdilse@gmail.com पर। आप हमें अपनी रचनाएँ यहाँ भी भेज सकते हैं: https://storiesdilse.in/guidelines-for-submission/


PC: La_Petite_Femme-2212305

 3,724 total views

Share on:

One thought on “

मेरी बेटी | बेटी पर कविता

कवयित्री प्रमिला 'किरण' की रचना | A Hindi Poem by Poetess Pramila 'Kiran'

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *