अपनेपन का अहसास | घर पर कविता

उषा रानी की कविता | A Hindi Poem by Usha Rani

अपनेपन का अहसास | घर पर कविता | उषा रानी की कविता

संक्षिप्त परिचय: अपनेपन का अहसास जताती – एक घर की समय के साथ बदलती कहानी बयाँ करती है उषा रानी जी की यह कविता।

बरसों से बंद ताले में जंग लग रहा,
उस घर के सारे दरवाजे-खिड़कियाँ भी बंद,
कभी हंसी- ठहाकों से
गुलज़ार रहा वह घर🏡 ।
आज धूल-धुसरित है
उसका घर🏡 आंगन ।
जर्जर होती दीवारें
उदास मौन खड़ा है वह घर ।
अपने अकेलेपन से जूझता
प्रतीक्षा करता किसी के आने का ।
इस घर से जुड़े खुशहाल रिश्तों
के लौट आने का ।
उम्मीद के उन सिक्कों की तरह
जो खो जाने के बाद
फिर मिल जायें खुशियाँ की तरह ।
समय का बदलाव जाने
कितनी दूरियों में बिखेर गया,
आशा- विश्वास के रिश्तों को
खनकते सिक्कों की तरह ।
पर संवेदनाओं के तार जुड़े रहते,
हवा-पानी के मिलते ही
जैसे मिट्टी में अंकुर🌱 फुट जाते,
अनुकूल वातावरण भी जिंदा कर देते अपनेपन के अहसासों को ।
रिश्ते कभी मरते नहीं,
विश्वास की संजीवनी जिंदा रखती
जो प्रेम जल से निरंतर सींचे जाते
तो उम्मीदों के सिक्के चमकने लगते – जीवन में रंग भरने लगते ।

स्वरचित कविता
उषा रानी पुंगलिया जोधपुर राजस्थान


कैसी लगी आपको यह घर पर कविता  ‘अपनेपन का एहसास ’ ? जो एक एहसास को दर्शाती है की घर में कैसे अपनों के साथ लगता है ।   कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवयित्री को भी प्रोत्साहित करें।


कविता की लेखिका उषा रानी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ 


पढ़िए उनकी और कविताएँ :-

  • जीवन साथी पुस्तकें : पुस्तक – एक ऐसी वस्तु है जिस की तुलना एक जीवन साथी से भी हो जाती है। सिर्फ़ जीवनसाथी ही नहीं इसे कई और नाम भी दिए गए हैं। पुस्तकों का ही महत्व समझाती है, उषा रानी जी की यह कविता ‘ जीवन साथ पुस्तकें ‘ है।
  • हिसाब जिंदगी का : अगर अपने जीवन के संघर्ष के हिसाब को कभी आप एक कविता में पिरोएँगे तो वह कविता भी उषा रानी जी की यह कविता जैसी ही होगी।
  • प्रकृति को पूजो  : कवयित्री उषा रानी की यह कविता प्रकृति पर है। इस कविता में कवयित्री प्रकृति के गुणगान करती हैं तथा उस का सम्मान करने की सीख देती हैं।
  • भंवर तनावों के : आज इंसान ने तरक़्क़ी तो बहुत कर ली है पर क्या वो जिस सुकून की तलाश में था वो उसे मिल पाया है? जीवन पथ के कुछ ऐसे ही संघर्ष पर प्रकाश डालती है उषा रानी जी की यह कविता ।

पढ़िए घर पर एक और कविता :-

  • हमारे घर का आँगन: यह सौरभ रत्नावत जी की पहली कविता है। इस कविता में वे अपने घर की ख़ूबसूरती को बयाँ कर रहे हैं। साथ ही उनके परिवार और प्रकृति के बीच कैसे तालमेल बैठा हुआ है यह भी समझा रहे हैं।

अगर आप भी कहानियाँ या कविताएँ लिखते हैं और बतौर लेखक आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमसे ज़रूर सम्पर्क करें storiesdilse@gmail.com पर। आप हमें अपनी रचनाएँ यहाँ भी भेज सकते हैं: https://storiesdilse.in/submit-your-stories-poems/


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