इक दीप | दीपावली पर कविता

अनिल कुमार मारवाल की रचना | A Hindi Poem written by Anil Kumar Marwal

इक दीप | दीपावली पर कविता | अनिल कुमार मारवाल की रचना | A Hindi Poem written by Anil Kumar Marwal

संक्षिप्त परिचय – अनिल कुमार मारवाल की यह कविता दीपावली पर है और दीपावली के उपलक्ष्य में समाज के कल्याण की प्रार्थना भी है।

आओ इस दीवाली एक दीप नया जलाएँ

समाज में व्याप्त बुराइयों को जलाकर भगाएँ

इस  बार  हम  मिट्टी  के  ही  दीप जलाएँ 

भारतीयता का परचम  इस  जग में लहरायें

राम लला जब बुराई को हराकर घर पर आए 

जब ही सब ने सुंदर सुसज्जित दीप सजाए थे।

इस बार कुम्हार से दीप ले हर जगह जलाएगें

हर घर में खुशियों के लिए लाखों दीप सजाएँ।

इक दीप  नारी के सम्मान के लिए  भी जलाए ।

 गौ माता की रक्षा के लिए  सुंदर दीपमाला बनाएँ।

एक ऐसा दीप जलाएँ, जो  सैनिकों का यश दसो दिशायो में गूँज आए।

जो वीर शहीदों का मान बढ़ाकर गुणगान कर जाए।

इक सुंदर सा दीप जलाकर किसानों का मान बढ़ाएँ

अन्नदाता पर इस त्योहार हजारों ख़ुशियाँ न्योछावर हो जाए ।

इक दीप ऐसा हो जो शोले सा दहकता हो, 

दुश्मन की आँखों में खूब चुभता , चहकता हो।

इक दीपक  का  तेज अति निराला हो।

हर गरीब के  तन पर कपड़े , मन में खुशियाँ ,

मुँह में निवाला हो।

 सब पर माँ लक्ष्मी की माया हो, कुबेर की छत्रछाया हो, विघ्न हरने वाले हर घर में विघ्न विनायक हो।

आओ इस दीवाली जलाएँ दीप नया…………..।

इक दीपक ऐसा जलाएँ गुरु के चरणों में शीश नवाएँ

ज्ञान का दीप नया जलाएँ।

आओ इक दीपक शिव के नाम का भी जलाएँ 

शिव के धाम पर दीपमाला सजाएँ, शिव के चरणों में नित-नित शीश निवाएँ ।


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इस कविता के लेखक अनिल कुमार मारवाल के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।


पढ़िए दीपावली पर एक और कविता:

  • दीपावली: सुंदरी अहिरवार की यह कविता दीपावली के त्यौहार पर दीपावली का महत्व समझाते हुए, त्यौहार को मनाने की प्रेरणा दे रही है।

पढ़िए अनिल कुमार मारवाल की एक और कविता:

  • हाँ मैं पागल हूँ : अनिल कुमार मारवाल की यह हिन्दी की कविता भारतीय समाज को जकड़े हुए कई मुद्दों पर प्रकाश डालती है।

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PC: Mayur Jethwa

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