पौधा भी कुछ कहता है | पेड़ पौधों पर कविता

सुनीता बहल की कविता

पौधा भी कुछ कहता है | सुनीता बहल की कविता | पेड़ पौधों पर कविता

संक्षिप्त परिचय : हमारे लिए पेड़ पौधे क्या हैं? अगर वो अपनी भावनाएँ व्यक्त कर पाते तो हमसे क्या कहते? जानने के लिए पढ़िए पेड़ पौधों पर यह कविता ।

आज मैंने फिर एक पौधा लगाया,
पर मुझे आज एक अलग ही मजा आया,
पत्तों ने किया जैसे हिल कर अभिनन्दन,
याद दिला रहें हों, जो है हमारा अटूट बंधन।।

कुछ दिन तो, पौधा जैसे कहे , रखो मेरा ख्याल,
फिर सारी उम्र रखूंगा, मैं तुम्हें संभाल,
दूंगा मै तुम्हें आक्सीजन भरपूर,
मेरी छाया भी फैलेगी दूर-दूर।।

नमी बचा कर रखूंगा,
तापमान भी होगा कम,
फल, फूल,लकड़ी सब ले लेना,
नहीं निकलेगा मेरा दम।।

जो देने को तत्पर है, सब कुछ अपना,
उस पौधे को देख मेरे मन ने किया एक सवाल,
ये कैसी नासमझी इंसान की,
उसको ही ना रख पाया संभाल।।

सुनीता बहल
रोहतक (हरियाणा)


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कविता की लेखिका सुनीता बहल जी के बारे में जानने के लिए यहाँ पढ़े


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