हमारे घर का आँगन | घर परिवार पर हिन्दी कविता

सौरभ रत्नावत की रचना | A Hindi Poem written by Sourabh Ratnawat

हमारे घर का आँगन | घर परिवार पर हिन्दी कविता |सौरभ रत्नावत की रचना | A Hindi Poem written by Sourabh Ratnawat

संक्षिप्त परिचय: इस कविता में कवि सौरभ रत्नावत अपने घर की ख़ूबसूरती को बयाँ कर रहे हैं। साथ ही उनके परिवार और प्रकृति के बीच कैसे तालमेल बैठा हुआ है यह भी समझा रहे हैं।

क्या बताएं कैसे होती है हमारे आँगन में भोर,
अरनिमा के संग होता है यहाँ पशु पक्षियों का शोर।
शहर वाले जाते हैं देखने जिन्हें चिड़िया घर की ओर,
हमारे तो घर आँगन में ही ठहाके मारते हैं राष्ट्रीय पक्षी मोर।

छा जाते हैं जब काले बादल घनघोर,
तब करते हैं ये मधुर मनमोहक शोर।
इतनी गहरी है आँगन में नीम की छाँव,
जहाँ बैठकर कौवे भी करते काँव-काँव।

डाल-डाल पर जिसकी हमेशा खेलती है चिड़िया,
उसी नीम की छाँव में सोई हैं कितनी ही पीढ़ियाँ।
कोयल सुनाती है जहाँ घर वालों को भी लोरी,
रात्रि विश्राम करने को आती है यहाँ गौ माता ‘गौरी’।

गाँव में जब कहीं भी उसे सुरक्षित जगह नहीं मिलती,
तो अपने बच्चों को भी वो यहीं पर आकर है जनती।
वानर सेना भी यहाँ पर खूब उधम है मचाती,
और अंत मे जल ग्रहण कर के निकल जाती।

इन्ही सबके संग खेलती है परिवार की लाडली बिटिया,
2 वर्ष की मात्र उम्र है जिसकी, नाम है उसका ‘टीया’।
क्या तो पशु और क्या ही पक्षी,
पेड़ पौधों के संग भी उसने अपना बचपन है जिया।

दिन भर बस तुलसी के पौधों को ही वो खाती,
और उसी को भोजन समझ वो अपनी भूख मिटाती।
फिर से एक और पीढ़ी की शुरुआत हुई है नीम के दामन,
बस इसी तरह महकता रहेगा हमारे घर का आँगन ।


कैसी लगी आपको यह घर परिवार पर कविता? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवि को भी प्रोत्साहित करें।
इस कविता के लेखक सौरभ रत्नावत के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।


पढ़िए प्रकृति पर और कविताएँ:

  • स्वर्ण प्रकाश: स्वर्ण-प्रकाश प्रभात शर्मा जी की लिखी हुई एक उत्कृष्ट कविता है। यह कविता सूर्योदय के समय के शुद्ध वातावरण का सुंदरता से वर्णन करती है।
  • फूल के प्रति : सुभद्रा कुमारी चौहान की यह कविता मुरझाए फूलों की व्यथा को दर्शाने की कोशिश करते हुए किसी को भी अपने ऊपर गुमान ना करने का संदेश देती है।
  • मुरझाया फूल : कविता का नाम है मुरझाया फूल। यह कविता पहली बार ‘मुकुल’ नाम के कविता संग्रह में प्रकाशित हुई थी। यह सुभद्रा कुमारी चौहान की हिंदी में कविता मुरझाए फूलों के लिए सही बर्ताव की प्रेरणा देती है।

पढ़िए मोर पर कहानी:

  • नीलकंठ – मोर:  एक मोर के सरल स्वभाव की और उसकी अपनी भावनाओं की कहानी। ऐसा क्या हुआ कि वो मोर अपनी साथी मोरनी को छोड़ कर जाने लगा? क्यों सब का ध्यान रखने वाला नीलकंठ उदासीन हो गया? पढ़िए महादेवी वर्मा की कहानी “नीलकंठ मोर” में।

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PC:Background by Cath Neville, the 2 images on top provided by Sourabh Ratnawat himself

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