बोझ

संदीप कुमार कटारिया द्वारा रचित लघुकथा

बोझ | एक लघुकथा | लेखक -संदीप कुमार कटारिया

संक्षिप्त परिचय : आज हमार देश बहुत उन्नति कर रहा है पर कुछ ऐसे लोग भी हैं जो आज भी लड़कियों को बोझ समझ रहे हैं। इसी पहलू को उठाती है संदीप कटारिया जी की यह लघुकथा ‘बोझ’।   

हिमेश की पत्नी सीमा गर्भ से है। सीमा पहले ही 2 लड़कियों को जन्म दे चुकी है। इसलिए सीमा की सास और पास-पड़ोस की लगभग सभी औरतों को उम्मीद है कि अबकी बार तो सीमा को लड़का ही होगा। घर में लंबी बहस के बाद हिमेश अपनी पत्नी को अल्ट्रासाउंड कराने के लिए शहर ले गया।  ताकि पता चल सके कि उनके यहाँ होने वाला बच्चा लड़का है या लड़की । लगभग 3 घंटे के इंतज़ार के बाद, उनका नम्बर आया ।

अल्ट्रासाऊंड-रिपोर्ट पकड़ाते हुए महिला डाक्टर ने हिमेश से कहा,” कांग्रेचुलेशन आपका बच्चा बिलकुल नोरमल है ।”

“मैम! बट… लड़का है या लड़की ?”

डॉक्टर ने कहा, ” लक्किली ! दिस इज़ ए गर्ल चाइल्ड “

इतना सुनते ही हिमेश के माथे पर पसीना आ गया। वह तुरन्त ही सीमा को अपने एक परिचित डाक्टर  के क्लीनिक पर ले गया । वहाँ उसने  शीघ्र ही सीमा का गर्भपात करवा दिया। सीमा भी बेचारी क्या करती ! दो लड़कियों को जन्म देने के बाद। तीसरी लड़की को भी इतने दिन तक अपने गर्भ में संभाले रखना उसे किसी अपराध से कम नहीं लग रहा था। वह गाड़ी में बैठी ये सब सोच ही रही थी कि तभी हिमेश को लगा कि गाड़ी में कुछ गड़बड़ आ गई है । इसलिए उसने गाड़ी साइड में लगा दी और उसका इंजन चेक करने लग गया।   अबोर्शन की वजह से सीमा भी बहुत बुरा और थका हुआ महसूस कर रही थी। इसलिए वह भी ताज़ी हवा लेने के उद्देश्य से गाड़ी से बाहर उतर गई। फिर अनायास ही उसकी नज़र पास के गढ्ढे में लेटी कुतिया पर पड़ी, जिसने कुछ दिन पहले ही 6-7 बच्चों को जन्म दिया था। वह कुत्तिया बड़े प्यार से अपने सभी बच्चों को दूध पिला रही थी।  

उस कुत्तिया में इतनी ममता देखकर सीमा को आत्मग्लानि हो रही थी।  ये जानवर- जिन्हें ना रोटी का पता है ना घर का।  फिर भी एक साथ कई सारे बच्चों को जन्म दे देते हैं । और उनमें किसी तरह का कोई भेद-भाव भी नहीं करते। और एक हम इंसान हैं -जिनके पास परमात्मा का दिया सब कुछ है। फिर भी एक या दो लड़की होने के बाद अगली बेटी को बोझ समझकर मार देते हैं !…. सीमा इतना सोच ही रही थी कि गाड़ी स्टार्ट हो गई । हिमेश ने उसे आवाज़ लगाई और वह चुपचाप गाड़ी मे जाकर बैठ गई। परंतु उसकी आँखें बार-बार पीछे मुड़कर उस कुत्तिया और उसके छोटे-छोटे बच्चों को निहार रही थी ।    धन्यवाद ।।

संदीप कटारिया
पुo श्री बीरबल कटारिया
sandeepkatariya1852@gmail.com


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Photo by Sergiu Vălenaș

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