लेखिका – तुलसी पिल्लई “वृंदा”

लेखिका - तुलसी पिल्लई | Hindi Writer Tulsi Pillai

नाम:-तुलसी पिल्लई “वृंदा”
जन्म: 1997
जन्म स्थान :- जोधपुर
पता:- जोधपुर (राजस्थान )
शिक्षा :- एम. ए उत्तीर्ण
कार्य क्षेत्र :- अध्यन जारी

अन्य जानकारी :-अभिव्यक्ति- अनुभूति -वेब -साहित्य पत्रिका, जनसेवा मेल (झांसी),अग्रधारा (चेन्नई ),गगन स्वर(दिल्ली),कविता कोश,काव्य स्पन्दन (नई दिल्ली), साहित्य सुषमा, विश्व गाथा ( गुजरात),हस्ताक्षर वेब पत्रिका, काव्य के सरताज वेबसाइट,रविपथ(हिसार-चंडीगढ़), कर्म कसौटी, अकोदिया सम्राट (शाजापुर मध्यप्रदेश),हिलव्यू(जयपुर),दि ग्राम टूडे(देहरादून) इत्यादि पत्रिकाओ में मेरी कविता और संस्मरण प्रकाशित हो चुके है।

मेरे साहित्यिक जीवन की शुरुआत के बारे में:- मैंने 2010 से अपने लेखन की शुरुआत की। शुरुआत में मैंने कविता लिखी और बाद में अज्ञेय जी और महादेवी वर्मा जी से प्रेरणा ग्रहण करके कहानी और संस्मरण लिखने लगी‌।

पढ़िए उनकी कहानियाँ यहाँ:

  • होमवर्क | बचपन के लक्ष्य की कहानी: लेखिका तुलसी पिल्लई ‘वृंदा’ की यह कहानी उनके अप्पा के सपने पर है। बचपन के सपने को लेखिका अपने लक्ष्य के रूप में भी देखती हैं। पढ़िए यह कहानी और जानिए कि क्या अप्पा का सपना पूरा हो पाया?
  • ‘मद्रास की मुर्गी’ और ‘गुड़िया वाला अण्डा’ | एक प्यारी सी कहानी : बचपन के दिन अलग होते हैं। हर चीज़ एक अविश्वसनीय चीज़ लगती है और हम इस दुनिया को देख कर ये सोचते हैं कि यहाँ कुछ भी हो सकता है। बस ऐसे ही भोलेपन को दर्शाती और दिल को गुदगुदाती है ये प्यारी सी कहानी ।
  • एक झूठ | भावपूर्ण कहानी: आपने कभी झूठ के बारे में सोचा? उसके बारे में सुनने तो को यही मिलता है कि झूठ ग़लत है। पर क्या कभी ऐसा हो सकता है कि झूठ सही लगने लगे? पढ़िए तुलसी पिल्लई की यह भावपूर्ण कहानी जो आपको यह सोचने के लिए ज़रूर मजबूर करेगी।
  • मेरा ठुमका अप्पा पर पड़ा भारी: यह कहानी लेखिका तुलसी पिल्लई ‘वृंदा’ के बचपन की है, जब एक बार उन्होंने अपने अप्पा को अपना डांस दिखाना चाहा पर अप्पा ने मना कर दिया। जानिए क्या हुआ आगे।
  • दाढ़ी बनाने की कला: लेखिका अप्पा को दाढ़ी बनाते हुए देखती हैं और फिर उनका भी मन करता है कि वो उनकी दाढ़ी बनाएँ। पर क्या वो उनकी दाढ़ी बना पाती हैं? जानने के लिए पढ़िए लेखिका तुलसी पिल्लई “वृंदा” की बचपन को याद करती यह कहानी “दाढ़ी बनाने की कला”।
  • पैसों का पेड़ (भाग-1):  यह कहानी पाँच भागों में लिखी गयी है और यह इस कहानी का पहला भाग है। इस कहानी में लेखिका अपने बचपन के दिनों का एक दिलचस्प क़िस्सा साझा कर रही हैं।
  • पैसों का पेड़ (भाग-२): यह कहानी ‘पैसों का पेड़’ कहानी का दूसरा भाग है।
  • पैसों का पेड़ (भाग-3): यह कहानी ‘पैसों का पेड़’ कहानी का तीसरा भाग है।
  • पैसों का पेड़ (भाग-४): यह कहानी ‘पैसों का पेड़’ कहानी का चौथा भाग है।
  • पैसों का पेड़ (भाग-5): यह है कहानी ‘पैसों का पेड़’ का पाँचवा और आख़िरी भाग।

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