संक्षिप्त परिचय : भारत देश की आज़ादी, उसका मान, उसकी वीरगाथा उसके वीर जवानों के बिना कैसे पूरी होगी? उन्ही वीर जवानों को समर्पित यह कविता – गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में सुंदरी अहिरवार की यह कविता।
वीर जवानों की गाथाएँ सबको आज सुनाती हूँ,
तूफानों में डटे रहे जो, उनको शीश झुकाती हूँ,
वीर जवानों की गाथाएं, सबको आज सुनाती हूँ,
कर्म पथ के वे अनुरागी हैं, मैं तो उनकी दासी हूँ,
वीर जवानों की गाथाएँ, सबको आज सुनाती हूँ,
उनकी ही आजादी में, लेती खुल कर सांस हूँ,
वीर जवानों की कथाएँ, सबको आज सुनाती हूँ,
भारत मां के प्रणय हेतु, करती मैं यह एहसास हूँ,
वीर जवानों की गाथाएँ, सबको आज सुनाती हूँ,
गाकर गाथा उन वीरों की, मन से मैं मुस्कुराती हूँ,
वीर जवानों की गाथाएँ, सबको आज सुनाती हूँ,
शहीद वीर जवानों को, नमन में हृदय से करती हूँ,
वीर जवानों की गाथाएँ, सबको आज सुनाती हूँ !!
सुन्दरी अहिरवार (भोपाल)
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