जीवन का झरना | कहानी

सुन्दरी अहिरवार की हिंदी में कहानी | Hindi Story by Sundari Ahirwaar

जीवन का झरना सुंदरी अहिरवार की कहानी

संक्षिप्त परिचय: झरना हो या नदी, वे तो आज़ाद होते है, मदमस्त जहाँ चाहें बहते हैं वहाँ और निरंतर बहते रहते हैं। क्या ऐसा ही जीवन होता है? कुछ ऐसे सवाल उठाती है सुंदरी अहिरवार की यह कहानी – जीवन का झरना ।

किसी छोटे से शहर में राजवर्धन नाम का एक लड़का रहता था। उसके पिताजी को पंछियों से बड़ा लगाव था। वो अपने पिताजी के लिए गौरैया के दो छोटे-छोटे बच्चे लेकर आया। उसके पिताजी ने उन्हें पिंजरे में रख दिया। वह नित-प्रतिदिन उनकी सेवा करता और उन्हें बड़े प्यार से खिलाता और उन्हें देखता। उनकी देखभाल करता ऐसा करते काफी साल बीत गए, उन्हें बड़े प्यार से पालता -पोस्ता और उन्हें निहारता रहता जैसे उनका लगाव सदियों से हो। शहरों में काफी दिनों एक महामारी का कहर छाया था (कोविड-19) जिसमें मनुष्य को घर से निकलना मुश्किल हो गया था। यह महामारी राजवर्धन के शहर तक भी पहुंच गई। उस महामारी ने पूरी दुनिया पर जैसे कब्जा कर रखा हो। इस महामारी में बाहर जाना नामुमकिन (मुश्किल) था। वह अब घर रह रहा था। उसे घर मानो तो बहुत ही बुरा लगता हो। वह एक दिन बहुत उदास बैठा था। उसकी नजर पिंजरे पर पड़ी, उसने देखा कि मैं तो कुछ दिनों में ही इस महामारी के कारण घर बैठे-बैठे थक गया हूँ। लेकिन यह पंछी को कैद करके रखना गलत है। अपनी बाहर की आजादी के दुःख से उन पंछियों के दुखों को समझता है और वह पिंजरे में कैद पंछियों को आजाद कर देता है। और उनसे कहता है, तुम इस खूबसूरत गगन में भ्रमण करने के लिए बने हो, इस पिंजरे के लिए नहीं, राजवर्धन ने उन पंछियों को जैसे नया जीवन दे दिया हो। पिता ने देखा तो कहा बेटा तुमने बहुत अच्छा किया जो इन बेचारे बेजुबान पंछी को आजाद कर दिया, देखो वह आसमान में कितनी ऊंचाई पर उड़ रहे हैं,।ऐसा कहने पर राजवर्धन अपने पिता के पास गया और कहा की,हम पंछियों से उनकी आजादी छीन रहे थे।
हम (कोविड 19) से कुछ समय में ही इतना परेशान हो गए हैं, एक जगह घर में रहते रहते ।
पंछी भी तो सोचते होंगे जब आकाश में उड़ते परिंदो को देखते होंगे कि काश हम इस पिंजरे में न होते, इसलिए मैने पंछियों को आजाद कर दिया। पिता ने कहा बेटा तुमने बहुत अच्छा किया। सुंदर गौरेया के बच्चों को आजाद कर दिया। अब राजवर्धन बहुत खुश था ।
पिता का पंछियों से बहुत लगाव होने के कारण वह अपने बेटे से छिपकर बरामदे में बैठकर उस पिंजरे को बड़े प्यार से देखता रहता और उनकी सेवा को याद करता रहता। एक दिन बरामदे में बहुत सुबह जाता है वह देखता है कि वह गौरैया के बच्चे वही खेल रहे थे, उन्हें देखकर बहुत खुश हुआ। चिड़िया के बच्चे भी मालिक को देखकर बहुत खुश हुए। वह अपने मालिक के पास आकर चहकने लगे मानो कुछ कह रहे हो, इतने में राजवर्धन वहाँ आ जाता है, वह बोलता है, ये वो ही गौरैया के बच्चे हैं, पिता जी जो मैंने आपको दिए थे। हां, बेटा यह पंछी वही है।
राजवर्धन ने उन पंछियों से बोला अब तुम दोनों रोज पापा से मिलने आया करो। ठीक है और रोज पूरी दुनिया में घूम आया करो। ऐसा बोलने पर चिड़िया के बच्चे राजवर्धन की गोद में बैठकर चहकने लगे। जैसे मानो वह बहुत खुश हो।

सुन्दरी अहिरवार
भोपाल (मध्यप्रदेश)


इस हिंदी नाटक की लेखिका सुंदरी अहिरवार के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ 


पढ़िए सुंदर अहिरवार द्वारा लिखा गया नाटक:

  • जादुई कलम: सुन्दरी अहिरवार द्वारा लिखा गया यह हिंदी नाटक, समाज में व्याप्त कई सारी बुराइयों को दूर करने के लिए जागरूकता की प्रेरणा देता है।

पढ़िए उनकी कविताएँ:

  • जीवन की मूल्य प्रवृति: जीवन में सुख और दुःख आता ही रहता है। कुछ ना कुछ सीखने को मिलता ही रहता है। कभी कुछ हमें अंदर से हिला देता है तो कभी हम ख़ुशी में झूमने लगते हैं। पर इन सब में जीवन जीने का सही ढंग क्या है? कुछ ऐसी बात समझाती हुई सुंदरी अहिर्वार जी की जी यह कविता।
  • प्राकृतिक सुंदरता: प्रकृति में जो सुंदरता है उसकी तुलना शायद ही किसी वस्तु या मनुष्य से करी जा सकती है। इसी सुंदरता का वर्णन करती है सुंदरी अहिरवार की यह कविता ।
  • वीर जवानों की गाथाएँ | गणतंत्र दिवस की कविता: भारत देश की आज़ादी, उसका मान, उसकी वीरगाथा उसके वीर जवानों के बिना कैसे पूरी होगी? उन्ही वीर जवानों को समर्पित यह कविता – गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में सुंदरी अहिरवार की यह कविता।
  • देश के वीर सिपाही | गणतंत्र दिवस कविता : गणतंत्र दिवस, एक ऐसा दिन जब भारत एक गणतंत्र बना और हर साल इस दिन हम अपने वीर जवानों को याद भी करते हैं। ऐसे ही देश के वीर सिपाहियों पर यह कविता ।
  • धूप और छांव: हमारे जीवन में माता-पिता का महत्व कभी कम नहीं होता। यही बात
  • समझाती है ‘सुंदरी अहिरवार’ की यह कविता ‘धूँप और छांव’।
  • नारी: सुंदरी अहिरवार की यह कविता नारी पर है। यह कविता नारी के विशेष गुणों पर प्रकाश डालती है।
  • अंधेरे से उजाले की ओर: कवयित्री सुंदरी अहिरवार की ये एक उत्साह बढ़ाने वाली कविता है। इस कविता के माध्यम से वे पाठक को अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहने की प्रेरणा दे रही हैं।
  • दीपावली: सुंदरी अहिरवार की यह कविता दीपावली के त्यौहार पर दीपावली का महत्व समझाते हुए, त्यौहार को मनाने की प्रेरणा दे रही है।

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