संक्षिप्त परिचय : शंकर देव तिवारी जी की यह कविता भय के एहसास के इर्द गिर्द घूमते कुछ प्रश्न पूछती है।
शब्द मंथन 1
नींद आएगी तो क्यों
किया कुछ नहीं क्यों
अब सहायता ही क्यों
एकला फल मिले क्यों
वो सभी पूछ ताछ में शामिल
जन्म मृत्यु पर ही सवाल क्यों
अकारण भय का एहसास हो
तब अब कब का उत्तर क्यों
कर्म बन फल का आयाम संग
एकाग्रता का हो जाना भंग
अच्छे बुरे का अद्भत संगम
है दोस्त दुश्मन का आचरण भंग
राम श्याम पर दाव
देखते ही देखते भाव
बदल गए हैं दांव
अच्छे बुरे सभी भाव
लाल लाल देख भाल
मन हर्षाय होत भोर
शाम की कहें भी क्या
दिल मांगे मोर मोर
शब्द लिखे बन जाये आखर
मिलकर बन जाता है वाक्य
पढ़ो लिखो बन जाओ नेक
वाणी मधुर लिख बन वाक्य
शंकर देव तिवारी
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Photo by Larm Rmah
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