72 साल | शंकर देव तिवारी | गणतंत्र दिवस पर कविता

शंकर देव तिवारी जी की रचना । Shankar Dev Tiwari ji ki Rachna

72 साल | शंकर देव तिवारी जी की कविता | गणतंत्र दिवस पर कविता

संक्षिप्त परिचय : भारत को गणतंत्र बने 72 साल हो चुके हैं। ऐसे में एक भारतीय क्या पूछ सकता है, क्या कह सकता है? पढ़िए शंकर देव तिवारी जी की यह गणतंत्र दिवस पर कविता जो कुछ ऐसा ही उत्तर देना चाहती है।

लिखे कितने खत तुमको 72 साल में
क्या हाल है तक न लिख सके 72 साल में
कहने को तो गणतंत्र हो 72 साल से
क्या चुन सके नेक 72 लोग 72 साल में

केवल चली सरकार तब तक गांधी जिंदा रहे
जाते ही उनके हो गया उनका जो जिंदा रहे
कैसे कहूं पूछूँ किसे कैसे हम जिंदा रहे
चूसते हमको रहे ये 72 साल से

एक मौलिक आधिकार ये दिला ना सके
जिंदगी से जिंदगी का हो मिलन सपना बना
वंदगी से ये सिला चलता रहा 72 साल से

एक अपनी ही प्रथा पर हम सभी चलते रहे
संविधान है ऊंचा जिसे नोंचते ही रहे
कैसे हटे जाति वाद और धर्म का हो सवेरा
आड़ हम लेते रहे तंत्र का 72 साल से

मंगलम शुभकामनाएं
गणतंत्र की हों भावनाएं
लें कसम आओ भारतीय
हों एक सी 72 भावनाएं

शंकर देव तिवारी
26 जनवरी प्रातः
आगरा


कैसी लगी आपको 72 साल बाद के गणतंत्र दिवस पर यह कविता ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवि को भी प्रोत्साहित करें।


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