संक्षिप्त परिचय: स्वर्ण-प्रकाश प्रभात शर्मा जी की लिखी हुई एक उत्कृष्ट कविता है। यह कविता सूर्योदय के समय के शुद्ध वातावरण का सुंदरता से वर्णन करती है।
धरा से निकला हो आदित्य,
क्षितिज पर फैला स्वर्ण प्रकाश ।
तरुण वृक्षों से छनतीं किरण ,
दिव्य आलोकित भू आकाश ।।
विहग करते कलरव चहुं ओर,
अरूण-आभा से उदित विभोर।
विचरते भ्रमर ,शान्त सब शोर,
प्रकृति के नव वैभव का जोर।।
तरुण कलिकाएं ,महकते फूल,
जलज खिलते , कुमुद विश्रान्त ।
मलय शीतल ,जल-कल का राग,
दिव्य का ज्ञान , सहज का भान ।।
प्रकृति के यौवन का अभिमान,
द्युतीमय दिग-दिगंत यह लोक ।
सकल सृष्टी होकर अभिभूत,
कर रही हो परमेश्वर का मान ।।
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चित्र के लिए श्रेय: raybilcliff
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