संक्षिप्त परिचय : जीवन में खुश रहने के लिए क्या ज़रूरी है? क्या वह इंसान जिसके पास में सब कुछ है, खुश है? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब देती हुई कवयित्री उषा रानी की यह जीवन पर कविता ।
जब थोड़ा था गरीब अभावों से,
भरी दुनिया में कुछ भी
खोने का डर नहीं था ।
अब ज्यादा हुआ
तो खोने का डर भी
हर पल लगा रहता है ।।
धन हो या रिश्ते हो,
यश हो या उम्र,
सुख- सुविधाओं का भंडार
तब दुखों- अभावों में भी
हम खुश थे, हंसते थे,
बिंदास सपनों में डूबे
मौज- मस्ती में 🏇दौड़ते रहते ।।
लेकिन अब सारे सुखों में भी
जाने कितने दु:ख हैं,
तनाव हैं, चिंताएँ हैं,
अंहकार की दीवारें हैं ।
खोने- पाने की भूल-भूलैया में,
फंसी जिंदगी की साँसें,
कभी-कभी पिंजरे में बंद
पक्षी की फड़फड़ाहट- सा
महसूस होता है
घुटन भरी तन्हाई का ।।
ऐसा लगता हैं हँसना भी
भूल गए हैं हम,
बस जिंदगी एक दौड़ बन कर
रह गयी है समय की पटरी पर ।
सारे मौसम खो गए हैं,
उनके आने-जाने का
पता ही नहीं चलता ।
और खुशियाँ हो गयी बहुत मंहगी ।।
स्वरचित कविता
उषा रानी पुंगलिया जोधपुर राजस्थान
कैसी लगी आपको जीवन के पहलुओं को उठाती यह कविता ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवयित्री को भी प्रोत्साहित करें।
कविता की लेखिका उषा रानी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।
पढ़िए उनकी कविताएँ:
- जवान तुझे सलाम | गणतंत्र दिवस पर कविता: गणतंत्र दिवस पर लिखी गयी यह कविता भारत के उन वीर जवानों को सलाम करती है जिन्होंने देश के लिए अपने जान देने से पहले एक बार नहीं सोचा ।
- प्रकृति हमारी माता है: है तो मनुष्य भी प्रकृति का अंश ही, पर आज कुछ ऐसी स्थिति हो गयी है कि वही मनुष्य प्रकृति का दुश्मन लगता है। ऐसे में ज़रूरी है कि सब समझें प्रकृति का महत्व। यही पहलू उठाती है कवयित्रि उषा रानी की प्रकृति पर यह कविता ।
- चाय हमारा मान है: भारत में लगभग हर घर में चाय एक अनन्य हिस्सा होती है। पर ऐसा क्यूँ होता है? जानने के लिए पढ़िए चाय पर यह कविता ।
- दादी तुम चुप क्यों हो?: कवयित्री उषा रानी की यह कविता बूढ़ी दादी माँ के लिए कई सवाल लिए है। पढ़ के ज़रूर बताइएगा कि क्या आपके दिल में भी ऐसे ही सवाल आते हैं ?
- आइसोलेशन – एकांत में अकेला रहना: आज कोरोना की वजह से इंसान का एकांत में रहना मजबूरी हो गया है। इसी पहलू को उजागर करती है उषा रानी की यह कविता ‘एकांत में अकेला रहना’।
- पुरुष का मौन: जहाँ आज सब स्त्री पर हो रहे अत्याचारों को ध्यान में रखते हुए उन पर कविताएँ लिख रहे हैं, जो कि समय की माँग भी है वहीं एक ऐसी कविता की भी ज़रूरत है जो पुरुष के समाज में योगदान पर भी प्रकाश डाले। ऐसी ही एक कविता है ‘पुरुष का मौन’ जिसे लिखा है उषा रानी ने।
पढ़िए जीवन पर कुछ और कविताएँ :-
- प्रवासी मज़दूर | A Hindi Poem on migrant workers: जब मार्च २०२० में कोरोना वाइरस के चलते पूरे भारत में लॉक्डाउन लगा था तब प्रवासी मज़दूर ने खुद को असहाय पाया था और वे पैदल ही अपने घर के लिए निकलने पर मजबूर हो गए थे। ऐसे ही प्रवासी मज़दूर की पीड़ा के ऊपर है यह कविता।
- किसान: किसान एक देश के आधार से कम नहीं होते क्योंकि उनके द्वारा पैदा की गयी फसल ही उस देश की पूरी जनता खाती है। आज किसान परेशान हैं, उनकी इन हालातों पर है यह छोटी सी कविता जिसे लिखा है अंकिता असरानी ने।
- चिंता का चिंतन: इस प्रेरणादायक कविता में कवि वर्तमान को श्रेष्ठ बनाने की प्रेरणा दे रहे हैं क्योंकि हमारा भविष्य हमारे वर्तमान पर ही निर्भर करता है ।
- ऐ दिल तू ज़रा सी खुशी ढूंढ ले: इस सुंदर हिंदी कविता के ज़रिए कवयित्री गुंजन सिंह खुश रहने की प्रेरणा दे रही हैं। कई बार ऐसा हो जाता है कि लगता है अब जीवन में खुश होने की वजह नहीं हैं – उन पलों का ज़िक्र करती हुई यह हिंदी कविता ।
अगर आप भी कहानियाँ या कविताएँ लिखते हैं और बतौर लेखक आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमसे ज़रूर सम्पर्क करें storiesdilse@gmail.com पर। आप हमें अपनी रचनाएँ यहाँ भी भेज सकते हैं: https://storiesdilse.in/submit-your-stories-poems/
Photo by Viktor Talashuk
977 total views