संक्षिप्त परिचय: रंगों का त्यौहार है होली, और इन्हीं रंगों के इर्द गिर्द बहुत कुछ मिल जाता है हमें होली खेलते खेलते, इन्हीं सब पर बात करती उषा रानी जी की यह होली पर कविता।
मखमली रंगों का त्यौहार आया,
प्रेम के रंगों का खजाना लाया!
उमंग उत्साह से मन में हर्षाया,
होली का ऐसा त्यौहार आया!
रंगों में होती है प्रेम की मनुहार,
अपनापन प्यार आदर सत्कार,
छेड़छाड़- मस्ती भरा त्यौहार,
रुठों को मनाने का त्यौहार आया!
होली हमारी संस्कृति की पहचान,
भक्त प्रहलाद की भक्ति की शान, प्रभु शक्ति के साथ भक्ति की जीत
सद्भावनाओं का त्यौहार आया!
सुरीले गीत गुनगुनाने का मौसम,
चंग की थाप पर नाचने का मौसम
इंद्रधनुषी रंगों से खेलने का मौसम
प्रेमियों नाचने- गाने त्यौहार आया
रंग- बिरंगे महके फूलों से हम,
बसंती रंगों से खिले- खिलें हम,
छोटे- बड़े का भेद मिटा दें हम,
ऐसा होली का त्यौहार आया!
मखमली रंगों का त्यौहार आया,
प्रेम के रंगों का त्यौहार आया!
सबके दिलों में खिलखिलाया,
हजारों खुशियों में महकाया!
स्वरचित कविता
उषा माहेश्वरीपुंगलिया जोधपुर राजस्थान
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Photo by Sharon McCutcheon
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