संक्षिप्त परिचय: वसंत ऋतु का आना एक उत्सव है, इस समय ऐसा लगता है जैसे पूरी प्रकृति को फिर से नवजीवन मिला हो। और इसी वसंत ऋतु पर है कवयित्री उषा रानी की यह मनभावन कविता ।
बसंती ऋतु मनभावन आई,
चारों ओर खुशियाँ महकाई ।
बागों में फुलवारी इठलाती,
खेतों में सरसों खिलखिलाती,
मधुर कंठी कोयल गुनगुनाती,
हर दिल में वंशी धुन बजाई ।
बसंती ऋतु मनभावन आई,
चारों ओर खुशियाँ छाई ।
नव उमंग से नाचे गाये,
प्रेमियों के दिल धड़काये,
हरियाली धरती को पूजाये,
मधुर मधुर चली पुरवाई ।
बसंती ऋतु मनभावन आई,
चारों ओर खुशियाँ छाई ।
माँ सरस्वती की प्रेरणा से,
वीणावादिनी हंसवाहिनी के,
आशीर्वाद से ज्ञान की जगमग, ज्योति जगमगाई ,
बसंती ऋतु मनभावन आई,
चारों ओर खुशियाँ छाई ।
स्वरचित कविता
उषारानी पुंगलिया जोधपुर राजस्थान.
कैसी लगी आपको यह वसंत ऋतु पर कविता ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवयित्री को भी प्रोत्साहित करें।
कविता की लेखिका उषा रानी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।
पढ़िए उनकी और कविताएँ:
- चाय हमारा मान है: भारत में लगभग हर घर में चाय एक अनन्य हिस्सा होती है। पर ऐसा क्यूँ होता है? जानने के लिए पढ़िए चाय पर यह कविता ।
- दादी तुम चुप क्यों हो?: कवयित्री उषा रानी की यह कविता बूढ़ी दादी माँ के लिए कई सवाल लिए है। पढ़ के ज़रूर बताइएगा कि क्या आपके दिल में भी ऐसे ही सवाल आते हैं ?
- आइसोलेशन – एकांत में अकेला रहना: आज कोरोना की वजह से इंसान का एकांत में रहना मजबूरी हो गया है। इसी पहलू को उजागर करती है उषा रानी की यह कविता ‘एकांत में अकेला रहना’।
- पुरुष का मौन: जहाँ आज सब स्त्री पर हो रहे अत्याचारों को ध्यान में रखते हुए उन पर कविताएँ लिख रहे हैं, जो कि समय की माँग भी है वहीं एक ऐसी कविता की भी ज़रूरत है जो पुरुष के समाज में योगदान पर भी प्रकाश डाले। ऐसी ही एक कविता है ‘पुरुष का मौन’ जिसे लिखा है उषा रानी ने।
पढ़िए वसंत ऋतु पर और कविताएँ :-
- बसंत के रंग हजार | बसंत ऋतु पर कविता: पतझड़ के बाद ही तो बसंत आता है। जब लगता है सब ख़त्म तभी नयी आशा की किरण लाता है। यही तो इस त्यौहार का महत्व है। इस मन को उल्लासित करने वाले बसंत ऋतु के पर्व पर मन को उल्लासित करने वाली यह कविता ।
- वसंत बसंत: बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर आस पास की ख़ूबसूरती का अनूठे ढंग से वर्णन करती है योगेश नारायण दीक्षित जी की यह कविता ।
- फिर से गूँजा बसंती राग: बसंत ऋतु के आगमन से नए ऋतु के साथ-साथ बहुत कुछ नया आता है। ऐसे ही नए ऋतु में नयी-नयी आशाएँ लिए हुए हैं यह बसंत ऋतु पर कविता ।
पढ़िए उनके द्वारा लिखी गई कहानियाँ :-
- पिघलता हुआ सन्नाटा: इस जगत में हम कई मनुष्य हैं, सब के जीवन अलग हैं, और जीवन भी ऐसा कि हर मोड़ पर कुछ ना कुछ नई सीख मिलती रहती है। यह कहानी ऐसे ही रोज़मर्रा की ज़िंदगी के माध्यम से जीवन के मूल्य को समझाती हुई।
- व्यथा अंतर्मन की | हिंदी कहानी: कमल नारायण एक अस्पताल में भर्ती हैं। कुछ ऐसी स्थिति है कि घबराहट होना लाज़मी है। पर इसी समय में उनका मन भूले बिसरे गलियारों में भी घूम आता है। कौनसे हैं वो गलियारे? जानने के लिए पढ़िए यह कहानी ‘व्यथा अंतर्मन की’।
अगर आप भी कहानियाँ या कविताएँ लिखते हैं और बतौर लेखक आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमसे ज़रूर सम्पर्क करें storiesdilse@gmail.com पर। आप हमें अपनी रचनाएँ यहाँ भी भेज सकते हैं: https://storiesdilse.in/guidelines-for-submission/
Photo by Mahamudul Hasan
1,791 total views