संक्षिप्त परिचय: पतझड़ के बाद ही तो बसंत आता है। जब लगता है सब ख़त्म तभी नयी आशा की किरण लाता है। यही तो इस त्यौहार का महत्व है। इस मन को उल्लासित करने वाले बसंत ऋतु के पर्व पर मन को उल्लासित करने वाली यह कविता ।
पतझड़🍂🍃 के बाद
आया मधुमास
छा गये चारों ओर
बसंत के रंग हजार ।
हर गया तन मन की पीड़ा
छा गया सब ओर उल्लास ।
प्रेम की अमरबेल
भरती जीवन में विश्वास
वेलेंटाइन डे कहो या
कहो मधुमास या बसंती ऋतु
देती खुशियों की सौगात ।
धरती मुस्कुराई और
किया दुल्हन का श्रृंगार
पितांबरी रंग से सजा गया
घर 🏡 आंगन द्वार
पक्षियों की चहचहाट या
प्रेमियों के मधुर गीतों की गूँज
भरती सबके मन में उमंग
करती उल्लासित और अपने
परिवार के साथ नाचे गाये,
चारों ओर उन्मादित
चहकता महकता
बसंती ऋतु का एहसास,
जो भर देता सबकी झोली में
हंसी खुशी का मधुमास,
और प्रेम का अटूट विश्वास ।
बसंत के रंग हजार सजे
सबके जीवन के हर पल में ।
इन्हीं शुभकामनाओं के साथ
स्वरचित कविता
उषा रानी पुंगलिया जोधपुर राजस्थान
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कविता की लेखिका उषा रानी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।
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Photo by James Gibson
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