संक्षिप्त परिचय – गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणपति जी की वंदना करती है यह सुंदर कविता।
ऊँ श्री गणेशाय नम:
वाहन चूहे पर विराजे,
गणपति बप्पा मोरिया,
मेरे घर जल्दी आना,
रिध्दी- सिध्दी साथ लाना ।
प्रथम पूजा तुम्हारी करूँ,
आरती सजा कर लाऊँ,
मोदक का भोग लगाऊं,
फूल माला पहना कर,
तुम्हारा स्वागत करूँ,
श्रध्दा विश्वास से सिर नवाऊं,
गणपति बप्पा मोरिया,
मेरे घर जल्दी आना,
रिध्दी- सिध्दी साथ लाना ।
मंगलमूर्ति संकट नाशक,
हरो सारे कष्ट विघ्नहर्ता,
दुष्टों का तुम नाश करना,
भक्तों की रक्षा करना,
मनोकामनाएँ पूर्ण करना,
गणपति बप्पा मोरिया,
मेरे घर जल्दी आना,
रिध्दी- सिध्दी साथ लाना ।
एक दंत दया वंत कहलाते,
भक्तों की पीड़ा हर लेते,
सब रूपों में पूज्य हो तुम,
सब कार्यों को पूर्ण करते,
इसी से प्रथम पूजे जाते ।
संसारी जय जयकार करते ।
गणपति बप्पा मोरिया,
मेरे घर जल्दी आना,
रिध्दी- सिध्दी साथ लाना ।
स्वरचित कविता
उषा माहेश्वरी पुंगलिया जोधपुर राजस्थान
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Photo by Hrutvikraj Mandekar
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