संक्षिप्त परिचय: क्या है एक हँसी, एक मुस्कान का महत्व? पढ़िए यह सुंदर कविता जिसे लिखा है उषा रानी जी ने, और आप भी जानिए।
एक मुस्कान ही उदास चेहरे को
महकाती और जीना आसान
कर सकती है लेकिन
मानव इसमें भी कंजूसी करता,
अपने दौलतमंद होने के अंहकार
से भरा अपने को बड़ा समझता,
सामान्य रूप से मिलने वाली
खुशी से वंचित रहता वो,
जबकि एक हंसी ही तो है
जो जीवन की बगिया में
रंग- बिरंगे फूलों की फुलवारी
सजाता और खुशी को महकाती,
सपनों की इंद्रधनुषी छटा
क्षितिज पर लहराती,
जिसे देख कर मन मयूर
खुशी से नाच उठता ।
हंसने- मुस्कुराने के बहाने भी
बहुत हैं हमारे चारों ओर
आकाश में टिमटिमाते असंख्य
तारों को देख कर आंसुओं से
भरी आँखें भी मुस्कुरा जाती,
चांद की शीतल बरसती
दूधिया चांदनी धरती के
कण कण को नहलाती,
ये क्षीर सागर का रूप- सौंदर्य
कभी मानव जीवन को चौंकाती,
तो कभी खुशियों की चांदनी फैलाती सारी उदासियाँ,
छूमंतर कर देती ।
ये घटते बढ़ते चंद्रमा के रूप
हमें सबक सिखाने के लिए
बहुत बहुत प्रेरणादायी बनते,
अंहकार मुक्त होने का अवसर देते ।
जिंदगी में उतार- चढ़ाव आते रहते ।
जिंदगी में आंख- मिचौली
चलती रहती इसी तरह ।।
स्वरचित कविता
उषा रानी पुंगलिया जोधपुर राजस्थान
कैसी लगी आपको मुस्कान पर यह कविता ‘एक मुस्कान ही ’ ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवयित्री को भी प्रोत्साहित करें।
कविता की लेखिका उषा रानी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।
पढ़िए उनकी और कविताएँ:
- प्रकृति हमारी माता है: है तो मनुष्य भी प्रकृति का अंश ही, पर आज कुछ ऐसी स्थिति हो गयी है कि वही मनुष्य प्रकृति का दुश्मन लगता है। ऐसे में ज़रूरी है कि सब समझें प्रकृति का महत्व। यही पहलू उठाती है कवयित्रि उषा रानी की प्रकृति पर यह कविता ।
- चाय हमारा मान है: भारत में लगभग हर घर में चाय एक अनन्य हिस्सा होती है। पर ऐसा क्यूँ होता है? जानने के लिए पढ़िए चाय पर यह कविता ।
- दादी तुम चुप क्यों हो?: कवयित्री उषा रानी की यह कविता बूढ़ी दादी माँ के लिए कई सवाल लिए है। पढ़ के ज़रूर बताइएगा कि क्या आपके दिल में भी ऐसे ही सवाल आते हैं ?
- आइसोलेशन – एकांत में अकेला रहना: आज कोरोना की वजह से इंसान का एकांत में रहना मजबूरी हो गया है। इसी पहलू को उजागर करती है उषा रानी की यह कविता ‘एकांत में अकेला रहना’।
- पुरुष का मौन: जहाँ आज सब स्त्री पर हो रहे अत्याचारों को ध्यान में रखते हुए उन पर कविताएँ लिख रहे हैं, जो कि समय की माँग भी है वहीं एक ऐसी कविता की भी ज़रूरत है जो पुरुष के समाज में योगदान पर भी प्रकाश डाले। ऐसी ही एक कविता है ‘पुरुष का मौन’ जिसे लिखा है उषा रानी ने।
पढ़िए खुशी पर ऐसी ही एक और कविता :-
- खुशी से ज्यादा : इस दुनिया में चाहें हमें लगे कि संतुलन बनाना मुश्किल है पर प्रकृति यह संतुलन खुद ही बना लेती है। कैसे? जानने के लिए पढ़िए अनिल कुमार मारवाल की जीवन की सच्चाई बताती यह हिंदी कविता ।
अगर आप भी कहानियाँ या कविताएँ लिखते हैं और बतौर लेखक आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमसे ज़रूर सम्पर्क करें storiesdilse@gmail.com पर। आप हमें अपनी रचनाएँ यहाँ भी भेज सकते हैं: https://storiesdilse.in/submit-your-stories-poems/
Photo by Ben White
947 total views