संक्षिप्त परिचय: आज कोरोना की वजह से इंसान का एकांत में रहना मजबूरी हो गया है। इसी पहलू को उजागर करती है उषा रानी की यह कविता ‘आइसोलेशन – एकांत में अकेला रहना’।
इंसान जीवन संघर्ष में
पहले से ही घर परिवार से दूर
अकेला जी रहा था
लेकिन अब तो
कोरोना ने आकर तहलका मचा दिया है
आदमी और अधिक अकेला हो गया है
डर का सांप कुंडली मारकर बैठा है
हर एक घर में हर चेहरे पर
आदमी से आदमी की दूरी
मुंह पर मास्क भी जरूरी
कोरोना होने पर अपने ही घर में
अछूत की तरह रहना
सामाजिक व्यवहार खत्म
न कहीं जाना, न किसी का आना
न ही शादी ब्याह में
न बनना संवरना,
न मिलना मिलाना
सारी दुनिया में अपनों के होते हुए भी
अकेला अकेला रहना है
सारी दुनियादारी भूला देना है
अगर जिंदा रहना है तो
बडा़ बवाल मचा रखा है कोरोना ने
सब तरफ टांग पसार कर पसरा है
अस्पतालों में जगह नहीं हैं
डाक्टर भी कोरोना के शिकार हो रहे हैं
मरीजों की तीमारदारी में जुटे
नर्स डाक्टर परिवारजनों से दूर
अकेले पड़ गये हैं और
कई तो कोरोना के शिकार हो गये हैं
बड़ी ही दुखद स्थिति को देखना
दिनचर्या बन गयी है
रोज मौत के मुंह में जाते
मरीजों को देखना
दिल दहलाने वाला दृश्य
सबकी आंखों में दहशत
करोड़ों की दौलत भी बचा नहीं पाती है
लाखों बेगुनाह मर रहे हैं
पर एक बड़ा सबक मैसेज भी मिला है जिंदगी भागना मात्र नहीं है अपने घर में अपनों के साथ
रहना भी जरूरी है
स्वरचित कविता
शीर्षक आइसोलेशन
एकांत में अकेला रहना
उषा रानी पुंगलिया जोधपुर राजस्थान
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कविता की लेखिका उषा रानी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।
पढ़िए उषा रानी की एक और कविता:
- पुरुष का मौन : जहाँ आज सब स्त्री पर हो रहे अत्याचारों को ध्यान में रखते हुए उन पर कविताएँ लिख रहे हैं, जो कि समय की माँग भी है वहीं एक ऐसी कविता की भी ज़रूरत है जो पुरुष के समाज में योगदान पर भी प्रकाश डाले। ऐसी ही एक कविता है ‘पुरुष का मौन’ जिसे लिखा है उषा रानी ने।
पढ़िए कोरोना के समय पर ही आधारित और कविताएँ:
- लॉकडाउन : यह कविता लॉकडाउन के समय में क्वारंटाइन होने की वजह एकांत में रह रहे मनुष्य के मन में उत्पन्न हो रही भावनायों का वर्णन करती है।
- ऑनलाइन क्लास: लॉक्डाउन के समय में एक परेशानी बच्चों की भी है – वह है ऑनलाइन क्लास। इस क्लास को करने में क्या परेशानियाँ आती हैं जानिए इस हिंदी हास्य कविता में।
- लॉकडाउन आदमी: योगेश नारायण दीक्षित जी यह कविता लॉकडाउन में भारत के एक आम आदमी की हालत को बयाँ करती है|
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PC: Keegan Houser
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