कोहिनूर | हिंदी में कविता

उम्मेद सिंह सोलंकी "आदित्य" की कविता | A poem in Hindi

कोहिनूर | हिंदी में कविता

संक्षिप्त परिचय: बचपन हमारे सम्पूर्ण जीवन का आधार बनता है। बचपन की कई सारी बातें हम अपने साथ हमेशा रखते हैं। और ऐसे ही होते हैं बचपन के दोस्त। बस कुछ ऐसा ही कह रहे हैं उम्मेद सिंह सोलंकी “आदित्य” अपनी हिंदी कविता “कोहिनूर” में ।

प्रसिद्ध होंगे शक्स वो नूर भी होंगे
एक लेख हमारा कोहिनूर भी होंगे।
लाखों दिवाने हैं मंजर के दर-बदर
कुछ दीदार यार मेरे मशहूर भी होंगे।

लौट के जरूर आना मेरे ऐ-हमसफर
यादे ताजा तेरी हम तुमसे दूर भी होंगे।
बिछड़ के यार दिल्लगी ना भुलाना
जीने का दर्द कुछ गम चूर भी होंगे।

लाख गिनूं तो तुमसा कोई यार मिले
जिंदगी मे कुछ इंसान मजबूर भी होंगे।
पता नही कब लिपट के रोये बचपन में हम
कुछ यार पुराने नकल के मजदूर भी होंगे।

मिट्टी में खेले हम, तेरा घर यह मेरा घर
कुछ फसाने जिंदगी के बेकसूर भी होंगे।
आदत गई नही अब तक पुरानी तुम्हारी
खुद मे मिला खुदा तु एक मंजूर भी होंगे।।


कैसी लगी आपको यह कविता ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवि को भी प्रोत्साहित करें।
इस हिंदी कविता के लेखक उम्मेद सिंह सोलंकी “आदित्य” के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।

अगर आपको यह कविता अच्छी लगी तो आपको हिंदी में यह कविताएँ भी अच्छी लगेंगी:

  • भाईचारा : भाईचारे की प्रेरणा देती कविता।
  • मुझे याद आते हैं वो गर्मी के दिन : हम सब के लिए सब से क़ीमती होते हैं बचपन के वो मासूम दिन। इस कविता में कवियत्री अपने बचपन में बिताए गर्मी के दिनों को याद करती हैं।

अगर आप भी कहानियाँ या कविताएँ लिखते हैं और बतौर लेखक आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमसे ज़रूर सम्पर्क करें storiesdilse@gmail.com पर। आप हमें अपनी रचनाएँ यहाँ भी भेज सकते हैं: https://storiesdilse.in/guidelines-for-submission/


PC: Aenigmatis-3D-1894940

 1,270 total views

Share on:

4 thoughts on “

कोहिनूर | हिंदी में कविता

उम्मेद सिंह सोलंकी "आदित्य" की कविता | A poem in Hindi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *