संक्षिप्त परिचय: इस दुनिया में चाहें हमें लगे कि संतुलन बनाना मुश्किल है पर प्रकृति यह संतुलन खुद ही बना लेती है। कैसे? जानने के लिए पढ़िए अनिल कुमार मारवाल की जीवन की सच्चाई बताती यह हिंदी कविता ।
खुशी से ज्यादा दर्द सच्चा लगता है,
वो हर किसी का चेहरा पहचान रखता है।
रातों को जागकर भी मेहनत करना,
हर शख्स को हमेशा आबाद रखता है।
मंजिल को पाने वाला हर शख्स ,
जिद , जुनून, कुछ पीड़ा साथ रखता है।
कलम और क्रान्ति अगर साथ रहे तो,
हर राष्ट्र को इनका साथ खुशहाल रखता है।
मोहब्बत और नफरत कुछ ख़ास ही तो है ,
तभी तो हर कोई इन्हें अपने पास रखता है।
गुलाब का काँटा ही तो गुलाब को गुलाब रखता है,
प्यार में टूटा हुआ ही तो प्यार को प्यार रखता है।
कैसी लगी आपको जीवन की सच्चाई बताती हिन्दी की कविता? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवि को भी प्रोत्साहित करें।
इस कविता के लेखक अनिल कुमार मारवाल के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।
पढ़िए जीवन की सच्चाई बताती और ऐसी कविताएँ:
- देर नहीं लगती: इस जीवन में हम अलग अलग तरह के लोगों से मिलते हैं और बात करते हैं। कभी कहीं सच देखते और सुनते हैं और कहीं झूठ। ऐसे ही जीवन के सच और झूठ पर यह कविता।
- स्वार्थी संसार : इस कविता में कवि बता रहे हैं कि कैसे दुनिया में सभी स्वार्थी हैं और सब के हित के लिए यह संसार क्या कर सकता है। पढ़िए यह हिन्दी में कविता।
- सारे मौसम खो गए हैं | जीवन पर कविता: जीवन में खुश रहने के लिए क्या ज़रूरी है? क्या वह इंसान जिसके पास में सब कुछ है, खुश है? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब देती हुई कवयित्री उषा रानी की यह जीवन पर कविता ।
पढ़िए कवि अनिल कुमार मारवाल की और कविताएँ:
- वीर देश | गणतंत्र दिवस कविता : गणतंत्र दिवस पर विशेष रूप से लिखी गयी यह कविता भारत देश का गुणगान करती है।
- हाँ मैं पागल हूँ: अनिल कुमार मारवाल की यह हिन्दी की कविता भारतीय समाज को जकड़े हुए कई मुद्दों पर प्रकाश डालती है।
- इक दीप: अनिल कुमार मारवाल की यह कविता दीपावली पर है और दीपावली के उपलक्ष्य में समाज के कल्याण की प्रार्थना भी है।
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Photo by Irina Grotkjaer
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