शिकायतें | हिन्दी में कविता

जुबैर खाँन की कविता | A Hindi poem by S Zubair Khan

शिकायतें | जुबैर खाँन की कविता | हिन्दी में कविता

संक्षिप्त परिचय : बाबा से कुछ शिकायतें कर रहे हैं कवि इस हिन्दी कविता में। पढ़िए यह कविता और जानिए क्या हैं ये शिकायतें ।

शिकायतें ही शिकायतें हैं मेरे बाबा, बाबा मेरे बाबा
तुमसे कोई शिकायतें नहीं मेरे बाबा
खुदाई को शिकायत है मुझसे मेरे बाबा
कहती है तेरे बाबा ने तुझे कुछ नहीं दिया
मिज़ा पे अलम दिया तवगरं नहीं किया
आ गयी क्या कमी मेरे रूख़सार में मेरे बाबा
जो ऐसा किस्सा हमने आज़म है दिया
जा रहे हैं दुन्या से तेरी गली होकर मेरे बाबा
शिकायतें नहीं मिलेंगी कोई मुझसे मेरे बाबा

बेटी मिले तो सब बादशाह है मेरे बाबा
बेटी न मिले सब मोहताज है मेरे बाबा
मुफलिसी आ जायेगी दमन में मेरे बाबा
मुफलिस हो जायेगा इक दिन जहाँ मेरे बाबा
तवगरं की तिशना लबी खा जायेगी सबको
हो जायेगे बेज़ार सब मेरे बाबा
झोली में न आयेगीं उन्कें बेटीयाँ
शिकायते ही शिकायते हैं मेरे बाबा

हम न आयेगें तेरे दियार पे मेरे बाबा
दोश पर किसको बिठाओगे फिर मेरे बाबा
आँखों का सहारा किसको कहोगे मेरे बाबा
जविदानी कोन देगा तुमको मेरे बाबा
बाबूल का घर छोड़ जाने का रिवाज छूट जायेगा मेरे बाबा
आँखों से अश्क़ किसके लिए गिराओगें तुम मेरे बाबा
दुल्हन बनके घर से नही निकलेगी जिस दिन बेटीयाँ
शिकायते ही शिकायते रहेगीं मेरे बाबा

लेखक – जुबैर खाँन……📝


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इस हिंदी कविता ‘विदाई’ के लेखक ‘जुबैर खाँन’ जी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।


पढ़िए ज़ुबैर खाँन द्वारा लिखी गयी और कविताएँ यहाँ:

  • विदाई: एक लड़की जो अब तक अपने बाबुल के घर रही, वह शादी करती है, तो उसे दुल्हन बन कर विदा होना पड़ता है। वह विदाई का पल सब के लिए एक बहुत ही भावपूर्ण पल होता है। इसी विदाई पर है ज़ुबैर खाँन की यह कविता ।
  • ये कैसे हैं रिश्तेयह एक रिश्तों पर कविता है जिसे लिखा है कवि ‘जुबैर खाँन’ ने । अपनी इस कविता में कवि रिश्तों की विचित्रता का वर्णन कर रहे हैं।
  • तू ज़िंदगी है: ‘तू ज़िंदगी है’ एक हिंदी कविता है जिसे कवि ज़ुबैर खाँन ने लिखा है। इस कविता में कवि अपने दिल के प्रेम को सुंदर शब्दों में बयाँ कर रहे हैं।
  • अब तो कुछ करना होगा: यह कविता ‘अब तो कुछ करना होगा’ नारी पर हो रहे अत्याचारों पर आवाज़ उठाती हुई, नारी के लिए सशक्तिकरण की माँग करती हुई कविता है।
  • तुम न आए : ‘तुम न आए’ एक हिंदी कविता है जिसे कवि ज़ुबैर खाँन ने लिखा है। यह एक प्रेम कविता है जिसमें कवि अपने प्रेम का इंतज़ार कर रहे हैं।

पढिए ऐसी ही एक और कविता

  • उम्मीदों की दुनिया: कवि मुकेश ‘मीत’ की यह कविता एक हिन्दी प्रेरक कविता है। इस कविता में कवि उम्मीद को कभी ना छोड़ने की प्रेरणा दे रहे हैं।

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