तन्हाई का सफर | कविता

जुबैर खाँन की कविता | A Hindi poem by S Zubair Khan

तन्हाई का सफर | जुबैर खाँन की कविता

संक्षिप्त परिचय : तन्हाई – किसे पसंद है? कई जज़्बातों से जुड़ जाती है तन्हाई । ऐसे ही कुछ जज़्बातों को बयाँ करती हैं ज़ुबैर खाँन की यह कविता ।

तन्हाई के सफर में , तन्हाई के घर में
तन्हाई के लम्हे में, कहाँ गुज़ारे अपने हैं
तन्हाई की जिदंगी में, तन्हाई के अधेंरो में
कहाँ उजाले अपने हैं, कहाँ सवेरे अपने हैं

तन्हाई की छत पर, तन्हाई की धूप में
तन्हाई के मौसम में,कहाँ छाँव अपनी है
तन्हाई की बारिश में,तन्हाई की सड़को पर
कहाँ तन्हाई अपनी है, कहाँ बारिश अपनी हैं

तन्हाई के दिल में, तन्हाई की आँखों में
तन्हाई के घरों में, कहाँ कोई अपने हैं
तन्हाई के समंदर में, तन्हाई की तिशनगी में
कहाँ गहराई अपनी है, कहाँ उल्फ़त अपनी है

तन्हाई के बक्त में, तन्हाई की सीढ़ीयो पर
तन्हाई की मंज़िल पर, तन्हाई के जज़्बातों में
तन्हाई के हौसलों में, कहाँ इरादे अपने हैं
तन्हाई की गुफ़्तार में, तन्हाई के रिश्तो में
कहाँ ग़ैर अपने हैं, कहाँ रिश्ते अपने हैं

तन्हाई के रास्तों पर, तन्हाई के मुतज़िर में
तन्हाई के वादो पर, तन्हाई के सफर में
तन्हाई के इरादो में, तन्हाई की मुलाकातो में
कहाँ वादे अपने हैं,क हाँ “जुबैर” सनम अपने हैं

लेखक – जुबैर खाँन……📝


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इस हिंदी कविता ‘तन्हाई का सफर’ के लेखक ‘जुबैर खाँन’ जी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।


पढ़िए ज़ुबैर खाँन द्वारा लिखी गयी और कविताएँ:

  • विदाई: एक लड़की जो अब तक अपने बाबुल के घर रही, वह शादी करती है, तो उसे दुल्हन बन कर विदा होना पड़ता है। वह विदाई का पल सब के लिए एक बहुत ही भावपूर्ण पल होता है। इसी विदाई पर है ज़ुबैर खाँन की यह कविता ।
  • ये कैसे हैं रिश्तेयह एक रिश्तों पर कविता है जिसे लिखा है कवि ‘जुबैर खाँन’ ने । अपनी इस कविता में कवि रिश्तों की विचित्रता का वर्णन कर रहे हैं।
  • तू ज़िंदगी है: ‘तू ज़िंदगी है’ एक हिंदी कविता है जिसे कवि ज़ुबैर खाँन ने लिखा है। इस कविता में कवि अपने दिल के प्रेम को सुंदर शब्दों में बयाँ कर रहे हैं।
  • अब तो कुछ करना होगा: यह कविता ‘अब तो कुछ करना होगा’ नारी पर हो रहे अत्याचारों पर आवाज़ उठाती हुई, नारी के लिए सशक्तिकरण की माँग करती हुई कविता है।
  • तुम न आए : ‘तुम न आए’ एक हिंदी कविता है जिसे कवि ज़ुबैर खाँन ने लिखा है। यह एक प्रेम कविता है जिसमें कवि अपने प्रेम का इंतज़ार कर रहे हैं।

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2 thoughts on “

तन्हाई का सफर | कविता

जुबैर खाँन की कविता | A Hindi poem by S Zubair Khan

  1. अरे वाह बहुत ही बेहतरीन कविता तन्हाई को बखूबी शब्दों में बयां किया है आपने ढेरों शुभकामनाएं

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