अब तो कुछ करना होगा | नारी सशक्तिकरण पर कविता

जुबैर खाँन की कविता | A short Hindi poem by S Zubair Khan

अब तो कुछ करना होगा | नारी सशक्तिकरण पर कविता | जुबैर खाँन की कविता | A short Hindi poem by S Zubair Khan | Ab to Kuch Karna hoga

संक्षिप्त परिचय: यह कविता ‘अब तो कुछ करना होगा’ नारी पर हो रहे अत्याचारों पर आवाज़ उठाती हुई, नारी को सशक्तिकरण की माँग करती हुई कविता है। पढ़िए कवि जुबैर खाँन द्वारा लिखी गयी यह कविता।

कब तक चुप रहे यह नारी,
अब तो कुछ करना होगा ।
अहिंसा को हिंसा के विरुद्ध लड़ना होगा;
कब तक चुप रहे यह नारी अब तो कुछ करना होगा ।

जल रही है आँखों मे हर निर्भया की चिंगारी,
इसको दुनिया मे अब कैसे कम करना होगा।
जिसको हर सूरत मे देखते हो उसका ख्याल रखना होगा;
कब तक चुप रहे यह नारी अब तो कुछ करना होगा ।

छोड़ दिया जाता है  बाज़ारो मे वक्त के मुजरिमों को, 
इनको हर बेटी के सामने तड़प तड़प के जलना होगा ।
जैसे जलाई जाती हर बेटी उनको भी उसी आग में जलना होगा;
कब तक चुप रहे यह नारी अब तो कुछ करना होगा ।

वकालत दौलत के आगे तमाशा देखने वाले वकील को आज हर माँ  बहन बेटी  का हिसाब देना होगा;
कब तक चुप रहे यह नारी अब तो “जुबैर” कुछ करना होगा ।


कैसी लगी आपको नारी सशक्तिकरण पर पर यह कविता ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवि को भी प्रोत्साहित करें।

इस हिंदी कविता के लेखक ‘जुबैर खाँन’ जी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।


पढ़िए ज़ुबैर खाँ की एक और कविता :

तू ज़िंदगी है: ‘तू ज़िंदगी है’ एक हिंदी कविता है जिसे कवि ज़ुबैर खाँन ने लिखा है। इस कविता में कवि अपने दिल के प्रेम को सुंदर शब्दों में बयाँ कर रहे हैं।


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