प्राकृतिक सुंदरता | प्रकृति पर कविता

सुन्दरी अहिरवार की कविता | A Hindi poem by Sundari Ahirwar

प्राकृतिक सुंदरता | प्रकृति पर कविता | सुन्दरी अहिरवार की कविता

संक्षिप्त परिचय : प्रकृति में जो सुंदरता है उसकी तुलना शायद ही किसी वस्तु या मनुष्य से करी जा सकती है। इसी सुंदरता का वर्णन करती है सुंदरी अहिरवार की यह कविता ।

सूरज की रोशनी जब धरती पर आई !!

चारों दिशाएं देख कर मुस्कुराई!!

जैसे नव जीवन में खुशियाँ छाई
उपवन की सुंदरता देखकर चिड़िया ने भी सुर-ताल लगाई!!

सूर्य ने लालिमा को फैलाया, दिन-रात का नियम बनाया!!

रूप बदलकर मौसम आए!!

शरद ऋतु की ठंडक लेकर धरती पर अपना पैगाम लाए!!

कभी फूलों की सुंदरता को लेकर,
बसंत ऋतु में खूब मुस्कुराए!!

सूरज की क्रोध किरणों को देखो, गर्मी का मौसम यह लेकर आई!!

सुंदरता इस धरा पर कई जीवो को यहाँ बनाना!!

प्राकृतिक सुंदरता को कई रूपों में है, सजाए कोई धरा पर कोई आसमान में घूम आए!!


कैसी लगी आपको  प्रकृति पर यह कविता ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवयित्री को भी प्रोत्साहित करें।
कविता की लेखिका सुंदरी अहिरवार के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ 


पढ़िए उनकी कविताएँ:

  •  देश के वीर सिपाही | गणतंत्र दिवस कविता : गणतंत्र दिवस, एक ऐसा दिन जब भारत एक गणतंत्र बना और हर साल इस दिन हम अपने वीर जवानों को याद भी करते हैं। ऐसे ही देश के वीर सिपाहियों पर यह कविता ।
  • धूप और छांव: हमारे जीवन में माता-पिता का महत्व कभी कम नहीं होता। यही बात
  • समझाती है ‘सुंदरी अहिरवार’ की यह कविता ‘धूँप और छांव’।
  • नारी: सुंदरी अहिरवार की यह कविता नारी पर है। यह कविता नारी के विशेष गुणों पर प्रकाश डालती है।
  • अंधेरे से उजाले की ओर: कवयित्री सुंदरी अहिरवार की ये एक उत्साह बढ़ाने वाली कविता है। इस कविता के माध्यम से वे पाठक को अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहने की प्रेरणा दे रही हैं।
  • दीपावली: सुंदरी अहिरवार की यह कविता दीपावली के त्यौहार पर दीपावली का महत्व समझाते हुए, त्यौहार को मनाने की प्रेरणा दे रही है।

पढ़िए सुंदर अहिरवार द्वारा लिखा गया नाटक:

  • जादुई कलम: सुन्दरी अहिरवार द्वारा लिखा गया यह हिंदी नाटक, समाज में व्याप्त कई सारी बुराइयों को दूर करने के लिए जागरूकता की प्रेरणा देता है।

पढ़िए प्रकृति पर ऐसी और कविताएँ

  1. स्वर्ण-प्रकाश: प्रकृति पर उत्कृष्ट कविता ।
  2. धूप और छांव: हमारे जीवन में माता-पिता का महत्व कभी कम नहीं होता। यही बात समझाती है ‘सुंदरी अहिरवार’ की यह कविता ‘धूँप और छांव’।
  3. एक भावांजलि ….. पत्थर को: एक पत्थर के जन्म से ले कर पत्थर की अनेकों विशेषताओं का वर्णन करती ये पत्थर पर कविता, पत्थर को सही मायने में भावांजलि है।
  4. बवाल खड़ा हो गया: हमारे समाज में कुछ कुरीतियाँ इतनी अंदर समा गयी हैं कि वे हमें बर्बाद कर रही हैं और हमें ही नहीं पता चल रहा है। इन ही कुछ कुरीतियों की तरफ़ इशारा करती है प्रकृति और समाज के बीच का रिश्ता समझाती यह हिन्दी में कविता ।

अगर आप भी कहानियाँ या कविताएँ लिखते हैं और बतौर लेखक आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमसे ज़रूर सम्पर्क करें storiesdilse@gmail.com पर। आप हमें अपनी रचनाएँ यहाँ भी भेज सकते हैं: https://storiesdilse.in/submit-your-stories-poems/


Photo by Jenna Beekhuis

 804 total views

Share on:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *