देश के वीर सिपाही | गणतंत्र दिवस कविता

सुन्दरी अहिरवार की कविता | A Hindi poem by Sundari Ahirwar

देश के वीर सिपाही | गणतंत्र दिवस कविता | सुन्दरी अहिरवार की कविता

संक्षिप्त परिचय: गणतंत्र दिवस, एक ऐसा दिन जब भारत एक गणतंत्र बना और हर साल इस दिन हम अपने वीर जवानों को याद भी करते हैं। ऐसे ही देश के वीर सिपाहियों पर यह कविता ।

कर्तव्य पथ पर डटे रहेंगे!!
जिद पर हम अड़े रहे हैं!!

हम देश के वीर सिपाही हैं!!
हम अपना “कर्म”करते रहेंगे!!

खाई “कसम” हमने अपने
देश की रक्षा के लिए,
देश में अमन शांति लाते रहेंगे!!
हम देश के वीर सिपाही हैं!!
हम अपना “कर्म”करते रहेंगे!!
हमारा देश चैन से सो पाये,
हम चैन से जागते रहेंगे!!
हम देश के वीर सिपाही हैं!!
हम अपना कर्म करते रहेंगे!!
हम हिंद के वीर सिपाही हैं!!
हिंदुस्तान पर जान लुटा देंगे!!
हम देश के वीर सिपाही हैं!!
हम अपना कर्म करते रहेंगे!!

सुन्दरी अहिरवार


कैसी लगी आपको यह गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में लिखी गयी यह कविता ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवयित्री को भी प्रोत्साहित करें।
कविता की लेखिका सुंदरी अहिरवार के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ 


पढ़िए गणतंत्र दिवस पर और कविताएँ:


पढ़िए उनकी कविताएँ:

  • धूप और छांव: हमारे जीवन में माता-पिता का महत्व कभी कम नहीं होता। यही बात
  • समझाती है ‘सुंदरी अहिरवार’ की यह कविता ‘धूँप और छांव’।
  • नारी: सुंदरी अहिरवार की यह कविता नारी पर है। यह कविता नारी के विशेष गुणों पर प्रकाश डालती है।
  • अंधेरे से उजाले की ओर: कवयित्री सुंदरी अहिरवार की ये एक उत्साह बढ़ाने वाली कविता है। इस कविता के माध्यम से वे पाठक को अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहने की प्रेरणा दे रही हैं।
  • दीपावली: सुंदरी अहिरवार की यह कविता दीपावली के त्यौहार पर दीपावली का महत्व समझाते हुए, त्यौहार को मनाने की प्रेरणा दे रही है।

पढ़िए बेढब बनारसी की व्यंग्यपूर्ण कवियाएँ :-

  • हुक्का पानी: तम्बाकू और भारत में उसके सेवन पर एक हास्य व्यंग्य।
  • अफवाह: क्यों लोग सच्चाई से ज़्यादा अफवाह में विश्वास कर लेते हैं? समाज में अफ़वाहों के बढ़ते चलन पर एक हास्य व्यंग्य। यह व्यंग्य आज भी उतना ही सटीक है जितना पहले हुआ करता होगा।
  • बद अच्छा बदनाम बुरा: आजकल ज़माना ऐसा है कि इसमें बुरा होना बुरी बात नहीं हैं परंतु बदनाम नहीं होना चाहिए, पढ़िए इसी पर एक हास्य व्यंग्य।
  • बुरे फंसे : मीटिंग में: लेखक बहुत जतन के बाद भी एक मीटिंग में से नहीं निकल पाते। बहुत देर होने के बाद भी उन्हें रुकना पड़ता है। जानिए क्यूँ?


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