संक्षिप्त परिचय : शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’ जी की यह सुंदर ग़ज़ल आपको इस जीवन के कुछ गहरे राज़ चुपके से बता जाएगी।
मेरी ग़ज़लों में नया आयाम भी है,
इनके जरिए प्यार का पैग़ाम भी है!
खो चुके हैं देख लो हम इस जहां में,
ढूंढना खुद को हमारा काम भी है!
मैं गिरफ़्तारे मुहब्बत हो गई हूँ,
प्यार का सर पर मेरे इल्ज़ाम भी है!
अम्न के यूँ तो पुजारी सब हैं लेकिन,
जिस तरफ़ भी देखिए कोहराम भी है!
नफरतों के बीज तुमको हो मुबारक,
सबके दिल में है ख़ुदा तो राम भी है!
शिखा सिंह ‘ प्रज्ञा ‘
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इस कविता की लेखिका शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’ के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।
पढ़िए उनकी कविताएँ:
- तुम कहो आज मैं सुनूँगा : यह कविता दाम्पत्य प्रेम को बनाए रखने का उपाय बड़े ही सरल ढंग से समझाती है। कैसे? जानने के लिए पढ़िए शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’ की यह प्रेम पूर्ण कविता ।
- हाँ मैं बदल गई हूँ: आज के समाज में जहां एक तरफ़ स्त्री को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी जाती है वहीं समाज का एक हिस्सा उसे वांछित सम्मान दे पाने में भी असक्षम है। यह कविता एक स्त्री के हृदय की आवाज़ है उसी समाज के लिए।
- ऑनलाइन क्लास: लॉक्डाउन के समय में एक परेशानी बच्चों की भी है – वह है ऑनलाइन क्लास। इस क्लास को करने में क्या परेशानियाँ आती हैं जानिए इस हिंदी हास्य कविता में।
- चलो आज कहीं घूम आते हैं: जब बहुत दिनों तक हम अपनों से मिल नहीं पाते। उनके साथ बैठ कर बातें नहीं कर पाते। उनके साथ कहीं घूमने नहीं जा पाते तो मन में कुछ भाव उठते हैं। वही भाव व्यक्त कर रही हैं शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’ जी अपनी इस हिंदी कविता “चलो आज कहीं घूम आते हैं” में ।
पढ़िए उनकी कहानी:
- इंजीनियर बिटिया: शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’ की यह एक प्रेरणादायक लघु कहानी है। यह कहानी शिक्षा के महत्व को समझाती हुई नारी सशक्तिकरण की प्रेरणा देती है।
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