संक्षिप्त परिचय: रानी कुशवाह की यह कविता हिंदुस्तान में हो रहे नारी पर अत्याचार और उसकी वजह से पैदा हो रही कठिनाइयों पर प्रकाश डालती है।
कौन कहता है कि हम स्वतंत्र हैं ।
और
यह वही गणराज्य है।
क्या खूब गणराज्य है ।
देख तेरी सरकार की हालत क्या हो गई है,
गणराज्य कितना बदल गए हम आज।
हाँ यह हमारा ही राज्य है हमारा गणराज्य।
जिसके होते हुए हमारी बेटियाँ घरों से बाहर निकलने में भी कतराती हैं। घबराती हैं।
यही है हमारा गणराज्य।
जहाँ बेटियों पर क्या खूब होते हैं अत्याचार ।
जो करते हैं भ्रष्टाचार
वह घूमते हैं आजाद।
हाँ यही है हमारा गणराज्य।
जिसमें बेटियों को घर से निकलने में,
अपने पिता या भाई को साथ में रखना पड़ता है, अपनी सुरक्षा के लिए क्योंकि यह गणराज्य है। शर्म आती है ,ऐसे राज्य पर जहां बेटियां इतनी भी स्वतंत्र नहीं ।
की वह घरों में सुरक्षा महसूस कर सकें।
कैसा है हमारा गणराज जहाँ बेटियों पर नित दिन
अत्याचार होते हैं ।
उनके बलात्कार होते हैं।
और फिर उनके मां-बाप उनको न्याय दिलाने के लिए न जाने कितने वर्षों तक लड़ते रहते हैं ।
और वो दरिंदे आजाद घूमते हैं।
क्योंकि यह हमारा राज्य।
जो कुछ लोगों ने अपने भ्रष्ट आचरण से गंदा कर दिया है।
हमारे देश में स्वच्छ भारत अभियान तो चलते हैं ।
पर सही विचार और स्वच्छ सोच अभियान नहीं चलते।
यही कारण है कि आज हमारा समाज और हमारा गणराज्य इतना गंदा हो गया है ।
जहाँ बेटियों के मान और स्वाभिमान की तनिक भी रेस्पेक्ट नहीं की जाती
और जो करते हैं रेस्पेक्ट वो इन बेटियों को स्वतंत्र कराने में विफल हो गए हैं ।
अब हम सब को अपने अधिकार मान सम्मान की रक्षा के लिए स्वयं आगे आना है । और अपने अस्तित्व को बचाना है।
कैसी लगी आपको यह नारी अत्याचार का मुद्दा उठाती यह कविता ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवयित्री को भी प्रोत्साहित करें।
कविता की लेखिका रानी कुशवाह के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।
पढ़िए रानी कुशवाह की लिखी हुई एक और कविता:
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PC: alliesinteractive and Rajesh Rajput
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