संक्षिप्त परिचय: शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में लिखी हुई यह कविता गुरु के गुणों का वर्णन करती है।
गुरु वही जो ज्ञान की आंखे खोले
सत्य, अहिंसा, दया, धर्म पर अड़ा रहे।
जब जब हम घबराये तब तब कृष्ण बना खड़ा रहे ।
जीवन के हर पथ पर हमे संभाले खड़ा रहे।
शिष्य वही जो गुरु के समर्पित बना रहे ।
अपने कर्तव्यों से गुरु की गरिमा बनाये रहे ।
जीवन के हर पथ पर गुरु का वंदन करता रहे ।
गुरु वही जो शिष्य को लक्ष्य तक पहुंचा दे ।
इस जीवन के सही अर्थ की वो पहचान करा दे ।
कवियत्री के बारे में और पढ़ें यहाँ: डॉ. भावना शर्मा
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Guru ki mahima aparmpar hai





Bahut Sundar prastuti