रक्षाबंधन (राखी)

कवि - राम प्रवेश पंडित

raksha bandhan par kavita | रक्षा बंधन पर कविता

भाई बहन का प्यार है पावन,
धन्य धन्य है शिव का सावन।
घर  घर में   उल्लास  भरा है, 
भाई  की   सजी    कलाई  है। 
प्यारी  बहना  राखी लाई   है ।।

है देवी  देवों  के  पर्व  हजार, 
राखी   धागों  का है त्यौहार।
मेह के नेह  अब बरस रहे हैं,
खुशियों  की  बदली  छाई है।
प्यारी बहना  राखी लाई   है।।

श्याम  के कर  से बहे रुधीर,
द्रोपदी   ने  निज  बांधे  चीर।
रक्षा का  वचन   दिए  मोहन,
नहीं चीर  हरण  हो  पायी है। 
प्यारी बहना  राखी  लाई  है।।

इस पावन रिश्ते का हो प्रसार, 
हर  घर   में मने राखी त्योहार।
हो धागे का बंधन अजर अमर,
हर  भाई  बहन को  बधाई है।
प्यारी  बहना  राखी  लाई  है।।

हो अपने धागे से भरा बाजार,
कर चीनी राखी का बहिष्कार।
हर भाई बहन   हंस कर बोले,
हमने   स्व देशी  अपनाई   है ।
प्यारी बहना   राखी  लाई  है।।

कवि राम प्रवेश पंडित जी के बारे में अधिक जानने के लिए जाए यहाँ

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