प्रेम में शक्ति अपार | हिन्दी कविता

रामप्रवेश पंडित जी की रचना | written by Rampravesh Pandit

प्रेम में शक्ति अपार | रामप्रवेश पंडित जी की कविता

संक्षिप्त परिचय:- प्रेम संसार की अमूल्य निधि है ।इसके द्वारा किसी को भी वश में किया जा सकता है। जो प्रेम के महत्व को समझता है। वही संसार में सबसे बड़ा ज्ञानी है। मनुष्य ही नहीं पशु पक्षी भी प्रेम सेवशीभूत हो जाते हैं। इसी संदर्भ में रचित है प्रेम पर मेरी यह हिन्दी कविता..…..

प्रेम के जीते जीत जगत में,
प्रेम के ही हारे हार है।
है आत्मा सम अजर अमर,
प्रेम में शक्ति अपार है।।

प्रीत शबरी के बेर खिलाये,
श्याम साग विदुर घर खाये।
मीरा ने पीया विष प्याला,
विदित सकल संसार है।
प्रेम में शक्ति अपार है ।।

प्रेम में केवट पांव पखारे,
ऋषि दधीचि जीवन हारे ।
प्रीत के कारण कृष्ण नैन से,
बहता झर-झर धार है।
प्रेम में शक्ति अपार है।।

प्रेम में दशरथ स्वर्ग सिधारे,
सभा बीच द्रोपदी पुकारे।
श्याम ने जब प्रीत निभाया,
मनता राखी का त्यौहार है।
प्रेम में शक्ति अपार है।।

सुन लो सुन लो प्रेम दीवानों,
वासना को तुम प्रेम न जानो।
प्रेम में मिटे अमर बलिदानी,
जिसे निज राष्ट्र से प्यार है।
प्रेम में शक्ति अपार है।।

स्वरचित एवं मौलिक,
रामप्रवेश पंडित,
मेदिनीनगर,


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इस कविता के लेखक रामप्रवेश पंडित जी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।



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