कवि योगेश नारायण दीक्षित | Poet Yogesh Narayan Dixit

योगेश नारायण दीक्षित | Yogesh Narayan Dixit

योगेश नारायण दीक्षित जी अमर उजाला में एक ‘असोसीयट एडिटर’ हैं। उनका जन्म स्थान लखीमपुरी खेरी है और वर्तमान निवास स्थान नॉएडा है। वे कविताएँ भी लिखते हैं और कहानियाँ भी।

उनकी कवितायें पढ़िए यहाँ:

  • गीत जिंदगी का | हिंदी कविता: ज़िंदगी में इंसान करना बहुत कुछ चाहता है, तो कभी घबराता भी है पर आख़िर क्या होगा ये कौन बता सकता है? कुछ ऐसी ही बात समझाती है योगेश नारायण दीक्षित जी की यह कविता ।
  • वसंत बसंत: बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर आस पास की ख़ूबसूरती का अनूठे ढंग से वर्णन करती है योगेश नारायण दीक्षित जी की यह कविता ।
  • वेलेंटाइन: वेलेंटाइन डे – यह वह दिन है जो प्रेम के लिए है। जिसे दुनिया भर के प्रेमी धूमधाम से मनाते हैं। ऐसे में जीवन में प्रेम को कुछ अनूठे ही ढंग से पेश करती है योगेश नारायण दीक्षित जी की यह वेलेंटाइन डे पर कविता ।
  • लोकतंत्र? | गणतंत्र दिवस पर कविता : गणतंत्र दिवस है और हम आज़ाद हैं, हाँ! पर कुछ सवाल कहीं ना कहीं तो आप में उठते ही होंगे। कुछ ऐसे ही सवालों की ओर ध्यान आकर्षित करती है यह कविता।
  • कृषि कानून: आज भारत में कई किसान कृषि क़ानून का विरोध कर रहे हैं। आज के इसी माहौल पर कुछ अनोखे ढंग से प्रकाश डालती योगेश नारायण दीक्षित जी की यह कविता ।
  • क्रिसमस का उल्लास: साल के आख़िरी माह दिसंबर और आने वाले नए साल की शुभकामनाएँ लिए यह छोटी सी हिंदी कविता ‘क्रिसमस का उल्लास’।
  • बाजारों में तुम खूब चलोगे: इस दुनिया में कुछ चीजें क्यों होती हैं ये किसी को समझ नहीं आता। ऐसे ही कुछ पहलूओं पर व्यंग्य करती है ये व्यंग्यात्मक कविता ‘बाजारों में तुम खूब चलोगे’ ।
  • देर नहीं लगती: इस जीवन में हम अलग अलग तरह के लोगों से मिलते हैं और बात करते हैं। कभी कहीं सच देखते और सुनते हैं और कहीं झूठ। ऐसे ही जीवन के सच और झूठ पर यह कविता।
  • दिल कागज पर लिख लाया है: कभी अगर आपका दिल आपसे कुछ कहना चाहे, तो वो क्या कहेगा? कुछ ऐसे ही सवाल का जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं कवि अपनी कविता ‘दिल कागज पर लिख लाया है’ के माध्यम से।
  • इतना कैसे कर लेते हो : योगेश नारायण दीक्षित जी की जीवन पर यह कविता, जीवन के कुछ अजीब तथ्यों को सरलता से प्रस्तुत करती है।
  • लॉकडाउन आदमी: योगेश नारायण दीक्षित जी यह कविता लॉकडाउन में भारत के एक आम आदमी की लॉकडाउन में हो रही हालत को बयाँ करती है|
  • योगेश #दोलाईना #यूंही : योगेश नारायण दीक्षित जी यह कविता बदलती दुनिया में बदलते लोगों पर गौर करती है।

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