संक्षिप्त परिचय :- श्री राम नवमी के अवसर पर भक्तिमय कर देने वाली है कवि प्रभात शर्मा जी की यह कविता।
कामना जब भक्तिमय हो जाएंगी ,
प्रिय मिलन की भावना रह जाएंगी।
कर्म, तन, मन, जन्म हों उनको ही अर्पित,
मोक्ष की भी कामना हो जब समर्पित ।।
इष्ट दर्शन को सतत्, भव-मोह होगा त्यागना,
प्रेम-रस में डूब कर सायुज्य होगा मांगना।।
राम मय ही भावनाएं, शून्य अब जग कामनाएं,
ज्ञान का होगा उदय , मिटेंगी सब वासनाएं ।
पातकों को नष्ट कर , निश-दिवस भक्ति दीजिए,
हो जन्म-मृत्यु विहीन,निर्मल आत्मा कर दीजिए।
बन्धनों को काट कर ,अपनी शरण में लीजिए ,
द्वैत बुद्धि विनष्ट कर ,अद्वैत मय कर लीजिए ।।
…….. प्रभात शर्मा १०.०४.२०२२🙏🌹
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PC: soham das
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