मन के दरवाजे खोले रखो ,
यादों की हवाएं आने दो ।
ये ही हैं सहारा जीवन में ,
इनको मुझ में रम जाने दो ।।
घुल जांए प्राण , विश्वासों में ,
धीमी – धीमी इन श्वांसों में ।
उनका प्रेमाम्बु समा जाए ,
गतिहीन हुए उच्छ्वासों में ।।
आलोकित था तन-मन जिस से,
सुख-शांति ,कांति-धन वैभव से ।
मधुमय सी दृष्टि अलौकिक थी ,
अमृत-वाणी , मृदु वचनों से ।।
गुंजित चहुंदिश था जग-विलास ,
रंजित-मन , झंकृत-उर हुलास ।
एक दृष्टि-विपल ने ही यह सब,
विप्लवित किया तन-मन-जीवन ।।
हे कृपा करो प्रभु ! इतनी अब ,
मन शान्त करो, सब भ्रांति हरो ।
शाश्र्वत- शान्ति दो आत्मा को ,
और तन-मन को विश्रान्त करो ।।
कवि प्रभात शर्मा जी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।
पढ़िए उनकी कविताएँ :
- स्वर्ण-प्रकाश: प्रकृति पर उत्कृष्ट कविता ।
- सजल-नयन: यह सुंदर कविता उस क्षण का विवरण करती है जब हम अपने अंत:करण के प्रेम का सत्य समझ लेते हैं।
- एक भावांजलि….. हिन्दी भाषा को : हिंदी दिवस पर यह कविता – हिंदी भाषा की विशेषताओं का सुंदरता से वर्णन करती है।
PC: Iwona_Olczyk-89275 and Clker-Free-Vector-Images-3736
935 total views
वाह। श्रेष्ठ कृति।