संक्षिप्त परिचय: ‘एक भावांजलि कवि मन को’ – कवियों के लिए एक प्रेरक कविता है जिसे लिखा है कवि प्रभात शर्मा जी ने। अपनी कविता के माध्यम से वे कवियों को सत्य और साहस के पथ पर चलने की प्रेरणा दे रहे हैं।
मन उद्वेलित ,कर आन्दोलित ,
सत्य क्यों है यूं ठगा जा रहा ।
राज चतुर्दिक असत् कर रहा,
साहस क्यों नहीं कोई कर रहा ।।
ध्वज वाहक तो बनना होगा,
सत्य आचरण करना होगा ।
असत् राज समूल मिटा कर ,
राज सत्य को करना होगा।
कवि भी सत्य नहीं बोलेगा ,तो क्या होगा ,
दरबारी यदि राग अलापे , तो क्या होगा ।
धर्म न दूसर सत्य समान ,समझना होगा ,
सत्य हिताय जागरण-जन,तो करना होगा ।
सत्य ईश औ धर्म सत्य है, सत्य मर्म है जीवन का ,
सत्य शिवम् ,सुन्दरम् सत्य,इष्ट सत्य है जनजन का।
सत्य हीन आचरण हुआ तो कदाचार बन जाएगा,
सत्याचरण ध्येय जीवन का , सत्य महान बनाएगा ।
सत्ताशीर्ष माननीयों के अन्तर्मन तक जाना है,
मन,वाणी,कर्मों के अन्तर को हरहाल मिटाना है।
मिथ्या भाषी ,पाखण्डी,दम्भी यदि ये हो जाएंगे,
धूर्त कपट,छल,द्वेष पूर्ण जो हथकण्डे अपनाएंगे।।
दम्भ,कपट,छल,द्वेष छोड़,नहीं सत्य जिया तो
राज नीति बिनु ,सत्य वचन का त्याग किया तो।
लोक , राष्ट्र का देख रहा सब,मूर्ख नहीं है, ज्ञानी है ,
अहित,बहुतअब नहीं सहेगा,करनी सब पहचानी है।
लोकहिताय ,विनम्र भाव ,श्रद्धामय शासन ,
कपट , द्वेष से दूर , सत्य का ही अनुशासन ।
सत्ता-सुख में भूले जनहित , सदाचार अब ,
प्रायश्चित नहीं होय ,पाप के भागी हैं सब ।
कवि ही तो भयभीत , मौन नहीं रहता है,
लोकविरूद्ध वर्जनाएं भी नहीं सहता है ।
सत्ता तन्त्र भ्रष्ट,निष्क्रिय हो,सो जाता है ,
सत्य-राग तब ,जन हिताय कवि ही गाता है ।
उपमा रूपक छोड़ सभी ,बस सत्य सुनाओ,
सत्य आचरण करो ,और सबको करबाओ ।
गीत , राग, श्रृंगार बहुत फिर लिख जाएंगे,
सत्य-राग का सहज-भाव जन तक पहुंचाओ।।
भ्रष्टाचार-मुक्त ,सु शासन तन्त्र नहीं होगा,
दम्भ,कपट,छल मुक्त तन्त्र यदि नहीं होगा।
लोक-जागरण कर,जन को समझाना होगा,
छद्म राष्ट्र वादी, दम्भी भ्रष्टों को हटाना होगा।।
आओ आज सभी मिल कर जयकार करें ,
भ्रष्ट बहिष्कृत , कर्मठ, श्रेष्ठों का मान करें ।
आवाहन सब करें लोकहित-नीति,राज का,
सुदृढ़ लोकहित कारी , गुंजित सत्य राष्ट्र का।।
सत्य-राग ही लिखना होगा,
लोक-राग ही कहना होगा ,
देश-राग ही विश्व-राग हो ,
तब जयघोष हमारा होगा।।
………३०.०९.२०२०🙏🌹🙏
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