फूल के प्रति | Phool Ke Prati | सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता

कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखी हुई कविता | Poem written by Subhadra Kumari Chauhan

फूल के प्रति | Phool ke Prati | सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता | कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखी हुई कविता | Poem written by Subhadra Kumari Chauhan

संक्षिप्त परिचय: सुभद्रा कुमारी चौहान की यह कविता मुरझाए फूलों की व्यथा को दर्शाने की कोशिश करते हुए किसी को भी अपने ऊपर गुमान ना करने का संदेश देती है।

डाल पर के मुरझाए फूल!
हृदय में मत कर वृथा गुमान ।
नहीं है सुमन कुंज में अभी
इसी से है तेरा सम्मान ।।

मधुप जो करते अनुनय विनय
बने तेरे चरणों के दास।
नई कलियों को खिलती देख
नहीं आवेंगे तेरे पास।।

सहेगा कैसे वह अपमान?
उठेगी वृथा हृदय में शूल।
भुलावा है, मत करना गर्व
डाल पर के मुरझाए फूल।


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