संक्षिप्त परिचय: एक इश्क़ कितना गहरा हो सकता है? वह कौनसा इश्क़ है जो सबसे गहरा होता है? कैसा महसूस होता है ऐसे इश्क़ में? आरती वत्स ऐसा ही कुछ बताने की कोशिश कर रही हैं अपनी इस कविता में जो इश्क़ पर है।
न जाने वो पागल मुझसे,
कैसा इश्क़ करता है।
मेरी एक उदासी पर,
अपनी जान वारता चला जाता है।
उसे पता है,
मैं उसके बिना रह नहीं सकती,
फिर भी मुझसे मेरी रज़ा पूछता चला जाता है।
खुद से ज़्यादा,
मेरी परवाह करता चला जाता है।
कितना प्यार करता है,
ये हर बार छुपाता चला जाता है ।।
नादान हूँ मैं,
ये कह कर मेरे हर सवाल को टालता चला जाता है ।
मैं बहुत अच्छी हूँ,
ये कह कर कभी-कभी,
मुझसे दूरी बनाता चला जाता है।
अपनी साँसों से ज़्यादा मुझ पर,
ऐतबार करके मुझे अपना क़र्ज़दार बनाता चला जाता है।
मासूम-सा वो चेहरा,
आजकल मुझे खुद में ही नज़र आता चला जाता है ।
कैसे बताऊँ उसे,
मेरा दिल भी उसे कितना चाहता है।
इस फ़रेबी दुनिया में,
वो अनजाना शख़्स मेरी शख़्सियत बनता चला जाता है।
खुदा का भेजा फ़रिश्ता,
वो मेरी ज़िंदगी बनता चला जाता है।
जितनी दूरी बनाती हूँ,
उतने ही क़रीब चला आता है।
इस जिस्मानी दुनिया में,
मेरा खुदा एक रूहानी रूह से मिलवाता चला जाता है।।
हाँ,शायद वो शख़्स मेरी तक़दीर तो नहीं है,
लेकिन फिर भी खुदा से मुझे माँगता चला जाता है।
हज़ारों वादे तो नहीं करता,
लेकिन मेरी आँख़ों में एक भी आँसू ना आए,
उसका वादा ज़रूर करता चला जाता है।
कैसे भूलूँ तुझे,
तू ही तो मेरी ज़िंदगी को,
और ख़ूबसूरत बनाता चला जाता है।
मेरी कल्पनाओं के शहर में,
अपना वजूद छोड़ता चला जाता है।
हाँ,वो शख़्स मुझे अपना बनाता चला जाता है,
अपना बनाता चला जाता है ।।
अपनी जुदाई का बीज,
साथ-साथ बोता चला जाता है,
और ताउम्र मुझे लिखने की वजह देता चला जाता है।
हाँ,वो शख़्स मेरी कल्पनाओं का,
सरताज़ बनता चला जाता है।
मेरी छोटी-सी दुनिया का,
सबसे अहम किरदार बनता चला जाता है,
वो मुझे खुद से ही मिलवाता चला जाता है।
ज़िंदगी की हर लड़ाई,
अकेले ही लड़ना सिखाता चला जाता है।।
वो सिर्फ़ मेरा है,
मुझे ये बताता चला जाता है।
मेरी परछाई बनकर,
हरदम मेरा साथ निभाता चला जाता है,
हरदम मेरा साथ निभाता चला जाता है।।
हाँ, वो मर्द की अपनी,
अलग परिभाषा बतलाता चला जाता है।
जीवन के हर सफ़र में,
मेरा साथी बनता चला जाता है।
वो मेरे लबों की तबस्सुम और,
सुर्ख़ की रूख्सार बनता चला जाता है।
मेरे सपनों की परवाज़,
और मेरे आज की वजह और उम्मीद बनता चला जाता है।
हाँ, वो पागल मेरी
ख़ूबसूरत ज़िंदगी बनता चला जाता है।
हाँ, वो पागल मेरी
ख़ूबसूरत ज़िंदगी बनता चला जाता है।।
-आरती वत्स
(मिस हरियाणा)
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