संक्षिप्त परिचय: जीवन में एक शिक्षक का क्या महत्व होता है? एक शिक्षक सूर्य सा क्यों होता है? जानने के लिए पढ़िए उषा रानी जी की यह शिक्षा दिवस पर विशेष कविता।
शिक्षक सूर्य सा होता
चमकता उजाला फैलाता ।
अज्ञान के अंधकार को दूर भगाता,
ज्ञान की अखंड ज्योति जलाता,
जीवन को सही राह दिखाता,
ऐसा उजाला जीवन में फैलाता ।
शिक्षक सूर्य सा होता ।
बिना शिक्षा के जीवन भटकता, अंधेरी राहों में खो जाता,
शिक्षक ही नव निर्माण की नींव रखता,
माँ के बाद वही सच्चा गुरु होता ।
शिक्षक सूर्य सा होता ।
ऊपर से सख्त नारियल सा,
अंदर से गिरी- सा मीठा,
जीवन को मधुमय बनाता,
सातों रंगों से इसे सजाता,
शिक्षक सूर्य सा होता ।
हाथ में डंडा, सख्त आवाज,
अनुशासन का पाठ पढ़ाया,
समय की कीमत समझाता,
सपनों को हौसलौं के पंख देता,
उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता,
शिक्षक सूर्य सा होता ।
कुंभकार- सा थपथपाता,
आग में कुंभों को पकाता,
सुंदर- मजबूत आकार देकर,
हजारों विद्यार्थियों का निर्माण करता ।
शिक्षक सूर्य सा होता ।
चाणक्य हो या अरस्तू,
द्रोणाचार्य हो या संदीपनी गुरु,
राजा भी, भगवान भी,
सभी उन्हीं से ज्ञान पाकर
जीवन में आगे बढ़ते ।
शिक्षक सूर्य सा होता ।
शिक्षक ही सबके जीवन में
सही- गलत का भेद बता कर,
उन्नति के पथ पर बढ़ाता,
समाज का सुंदर रूप सजाता ।
शिक्षक सूर्य सा होता ।
सच्चा गुरु जिसे मिल जाये,
भवसागर पार करा जाये,
प्रभु भक्ति का पाठ पढ़ा कर,
प्रभु चरणों में स्थान दिलाये ।
शिक्षक सूर्य सा होता ।
स्वरचित कविता
उषा रानी पुंगलिया, जोधपुर राजस्थान
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Photo by Nikhita S
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