संक्षिप्त परिचय: सड़क सम्पूर्ण मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण रही है। कई सभ्यताएँ इसी के इर्द गिर्द बसी हैं। पर आज यह सड़क ही यमराज बन गयी है। इसी विषय पर है उषा रानी जी की यह सड़क सुरक्षा पर कविता ।
हर सड़क घायल,
यातायात की रफ़्तार से,
दिल धड़क रहा है
दुर्घटनाओं की रफ़्तार से ।
पहिये पर दौड़ती दुनिया को
मंजिलें बुलाती,
हर शख्स पागल है,
बाइक की रफ़्तार से ।
आते-जाते कितने सफर
तय किये हमने,
पाँवों में छाले हो गये,
सपनों की कतार से,
समय की गर्द में
जाने कितने यादों के चित्र,
वर्तमान साल है उदास,
महामारी की मार से ।
पैरों में घुँघरू बाँध
मीरा की तरह नाच लें,
ना जाने किस राह में
श्याम मिल जाये प्यार से ।
हर गली, हर गाँव में
आँगन-आँगन छाँव में,
प्रतीक्षा में साँकल है,
सपनों के खुले द्वार से ।
प्रेम की पुरवाई नचाती,
पाँवों में बजती पायल,
सपनों की बगिया में,
कलियाँ खिलेंगी बहार से ।
स्वरचित कविता
उषा रानी पुंगलिया जोधपुर राजस्थान.
कैसी लगी आपको सड़क सुरक्षा पर यह कविता ‘यमराज बनी सड़के’ ? कॉमेंट कर के ज़रूर बताएँ और कवयित्री को भी प्रोत्साहित करें।
कविता की लेखिका उषा रानी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ ।
पढ़िए उनकी अन्य कविताएँ:
- वीर शहीदों की याद: शहीद दिवस पर विशेष श्रध्दांजलि अर्पित करते हुए यह कविता वीर शहीदों को नमन है।
- हरे रंग का तोताराम | बाल कविता: कवयित्री उषा रानी की यह कविता एक प्यारी सी बाल कविता है एक तोते पर, जो एक प्यारी सी सीख भी देती है।
- औरत तुम: औरत होना आसान नहीं है। प्रकृति ने भी तो उसे कितनी ज़िम्मेदारियाँ दी हैं निभाने को। ऐसी ही औरत की खूबियों पर प्रकाश डालती है यह कविता ।
- सारे मौसम खो गए हैं: जीवन में खुश रहने के लिए क्या ज़रूरी है? क्या वह इंसान जिसके पास में सब कुछ है, खुश है? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब देती हुई कवयित्री उषा रानी की यह जीवन पर कविता ।
- बसंती ऋतु मनभावन आई | वसंत ऋतु पर कविता : पतझड़ के बाद ही तो बसंत आता है। जब लगता है सब ख़त्म तभी नयी आशा की किरण लाता है। यही तो इस त्यौहार का महत्व है। इस मन को उल्लासित करने वाले बसंत ऋतु के पर्व पर मन को उल्लासित करने वाली यह कविता ।
- बसंत के रंग हजार | बसंत ऋतु पर कविता: पतझड़ के बाद ही तो बसंत आता है। जब लगता है सब ख़त्म तभी नयी आशा की किरण लाता है। यही तो इस त्यौहार का महत्व है। इस मन को उल्लासित करने वाले बसंत ऋतु के पर्व पर मन को उल्लासित करने वाली यह कविता ।
पढ़िए ऐसी ही कुछ और कविताएँ :-
- लॉकडाउन आदमी: योगेश नारायण दीक्षित जी यह कविता लॉकडाउन में भारत के एक आम आदमी की लॉकडाउन में हो रही हालत को बयाँ करती है|
- किसान: किसान एक देश के आधार से कम नहीं होते क्योंकि उनके द्वारा पैदा की गयी फसल ही उस देश की पूरी जनता खाती है। आज किसान परेशान हैं, उनकी इन हालातों पर है यह छोटी सी कविता जिसे लिखा है अंकिता असरानी ने।
- प्रवासी मज़दूर | A Hindi Poem on migrant workers: जब मार्च २०२० में कोरोना वाइरस के चलते पूरे भारत में लॉक्डाउन लगा था तब प्रवासी मज़दूर ने खुद को असहाय पाया था और वे पैदल ही अपने घर के लिए निकलने पर मजबूर हो गए थे। ऐसे ही प्रवासी मज़दूर की पीड़ा के ऊपर है यह कविता।
अगर आप भी कहानियाँ या कविताएँ लिखते हैं और बतौर लेखक आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमसे ज़रूर सम्पर्क करें storiesdilse@gmail.com पर। आप हमें अपनी रचनाएँ यहाँ भी भेज सकते हैं: https://storiesdilse.in/submit-your-stories-poems/
Photo by Imthiyas Iqbal
1,570 total views