तू गुमान न कर | अहंकार पर कविता

उषा रानी जी की कविता | A Hindi Poem by Usha Rani

तू गुमान न कर | उषा रानी जी की कविता | अहंकार पर कविता

संक्षिप्त परिचय : ज़िंदगी किस की कैसी कटेगी किसी को नहीं पता। पर कुछ बातें हैं जो नहीं बदलती, कुछ ऐसी ही बातें समझाती हुई है उषा रानी जी की यह कविता जो अहंकार की भी बात करती है।

जिंदगी का हर पल बदलता रहता
हम पाकर खुश होकर उछलते,
अंहकार का भाव हमारे चेहरे पर
चमचमाता खुशियाँ बिखेर देता ।
हम भी कुछ हैं का भाव
अंहकार को पोषता रहता ।
लेकिन अधिक की लालसा
सही-गलत रास्तों पर दौड़ती
एक दिन पश्चाताप देती ।
बहुत पाकर भी मन
अधिक देर खुश नहीं रहता ।
फिर नई लालसा जन्म लेती ।
जिंदगी निन्यानवे के चक्कर में
घूमती रहती और
अंहकार का ग्राफ बढ़ता जाता ।
जिस दिन कोई भूकंप का झटका
आता सब एक साथ छीन ले जाता ।
उस दिन कोई मदद को हाथ नहीं
बढ़ाता ।
अंहकारी अकेला रह जाता ।
पाकर गुमान न कर,
खो कर ग़म न कर ।
जिंदगी हर पल बदलती रहती ।

स्वरचित कविता
उषा रानी पुंगलिया जोधपुर राज०


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कविता की लेखिका उषा रानी के बारे में जानने के लिए पढ़ें यहाँ 


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